Book Title: Tattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 09 10
Author(s): Vijaysushilsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti
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श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रे
ॐ ह्रीं अर्हते नमः
5 श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् 5
दशवें अध्याय का हिन्दी पद्यानुवाद
१० । १ ]
* मोक्ष स्परूप
सुत्राणि - मोहक्षयाज्ज्ञानदर्शनावराणन्तरायक्षायाच्च केवलम् ॥१॥ बन्धहेत्वभाव + निर्जराभ्याम् ॥२॥
कृत्स्न + कर्मक्षयो मोक्षः ॥३॥
औपशमिकादिभव्यत्वाभावाच्चान्यत्र + केवल + सम्यक्त्व + ज्ञानदर्शन +
सिद्धत्वेभ्यः॥४॥
तदनन्तर + मूर्ध्वं गच्छत्यालोकान्तात् ॥५॥
पूर्वप्रयोगादसङ्गत्वाद्बन्धच्छेदातथागति परिणामाच्च तद्गतिः॥६॥
क्षेत्र - कालगति + लिङ्गतीर्थ + चारित्र + प्रत्येक + बुद्ध + बोधित + ज्ञानावगाहनान्तर संख्याल्पबहुत्वतः साध्याः ॥७॥
* हिन्दी पद्यानुवाद
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मोहनीयादि चारों घातिकर्म के क्षय होतें, ज्ञान और दर्शन सम्बन्धी, आवरण भी क्षय होते । नष्ट हो तक केवली, वस्तुकलना संवीकली ॥
अन्तराय घातिकर्म, सब सर्वज्ञता को धारते हैं,
प्रयोग से,
बन्ध हेतु के अभावी, निर्जरा के योग से सब कर्म का क्षय, मोक्ष है कहते उसे । उपशमादि भव्यतादिक भाव की अभावता, समकित केवल ज्ञान दर्शन प्रकट प्रगटे सिद्धता ॥