Book Title: Supatra Kupatra Charcha
Author(s): Ambikadutta Oza
Publisher: Aadinath Jain S M Sangh

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Page 12
________________ (10) की तो क्या हुआ? (2) गौशाला में गौओं की रक्षा की तो क्या हुआ? (3) कबूतरों को अनाज गिराया तो क्या हुआ? (4) लड़के लड़कियों के लिये स्कूल बनाया तो क्या हुआ? (5) मरीजों के लिये अस्पताल बनाया तो क्या हुआ? (6) यात्रियों के लिये धर्मशालायें बनाई तो क्या हुआ? (7) शहर तथा ग्रामों में आम जनता के लिये मीठे पानी के कुएँ बनाये तो क्या हुआ? (8) गर्मी के दिनों में जंगल में आध-2 कोश की दूरी पर मीठे पानी की पौएँ बनाई तो क्या हुआ? (9) मरते जीवों को बचाया तो क्या हुआ? (10) ब्राह्मणों को भोजन कराया तो क्या हुआ? (11) लड़के और लड़कियों ने अपनेअपने माता-पिता की और स्त्रियों ने अपने-अपने पति की सेवा भक्ति और आज्ञा पालन किये तो क्या हुआ?" "कई लोग इनमें धर्म कहते हैं। कई लोग इनमें पाप कहते हैं। लेकिन कहने से धर्म नहीं होता है और कहने से पाप नहीं होता है। इसलिए ऐसे कानून बनाओ जिनको दुनियाँ भर में कोई भी मजहब वाला खण्डन न कर सके। ये कानून तो सच्चे और जो चलते-2 खण्डन हो जायें वे कानून झूठे। सच्चे कानून कभी खण्डन नहीं होते। इस संसार में नीति तीन । राजनीति, गृहस्थ नीति व धर्म नीति । राजा लुच्चे लफंगे बदमाशों को देवे दण्ड और सेठ साहूकार भले आदमियों की करे हिफाजत यह राजनीति और इससे उलटा राज अनीति । राजनीति से राजा के राज की उन्नति और दुनिया भर में भलाई और राज अनीति से राजा के राज की बर्बादी और दुनिया भर में बुराई। गृहस्थ नीति-जिस काम को करने से पाँच आदमी बुरा न

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