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सुपात्र-कुपात्र चर्चा
"तेरह पंथी साधुओं के सिवाय सभी कुपात्र हैं"
यह मानना मिथ्या है।
---- : प्रणेता: ----
प्रतिवादीमान मर्दन | श्रीमज्जैनाचार्य 1008 पूज्य श्री ।
गणेशीलालजीमहाराज
आद्य सम्पादक.
पं. अम्बिकादत्त ओझा न्या. व्याकरणाचार्य
प्रकाशक श्री आदिनाथ जैन श्वे. मूर्ति. संघ कानजी वाड़ी, नवसारी (द. गुज.)
मूल्य 5.00 रु.
तृतीय परिवर्धित संस्करण
प्रति 1000