Book Title: Studies in Desya Prakrit
Author(s): H C Bhayani
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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(५) केटलीक एवी पण सामग्री जोवा मळे छे, जेने माटे प्रशिष्ट भाषामां के ____ स्थानिक बोलीओमां को आधार नथी, जे विशिष्टपणे जैन अंश छे ।
ब्लूमफिल्डना आ दृष्टिपूर्ण व्यवस्थित लेखथी जैन संस्कृतना शास्त्रीय अभ्यासनी दिशा स्पष्ट थई अने पछीना प्रयासो माटे ते घणो प्रेरक बन्यो । ते पूर्ने पण 'उपमितिभवप्रपञ्चाकथा'ना संपादनमां पिटर्सन अने याकोबीए विशिष्ट संस्कृत शब्दो अने प्रयोगोनी एक यादी भूमिकामां आपेली ।
पूर्णभद्रकृत ‘पंचाख्यानक'ना तेमना संपादनमा हेर्टले, 'जैन गुर्जरकविओ'नी भूमिकामां मो. द. देशाईए, हेमचन्द्राचार्यना 'त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित'ना अंग्रेजी भाषान्तरना जुदा जुदा खंडामां हेलन जोन्सने असाधारण के विरल संस्कृत शब्दो अने प्रयोगो तारवीने अर्थ साथे आप्या छ । प्राकृत अने जैन साहित्यना मूर्धन्य विद्वान स्व. आदिनाथ नेमिनाथ उपाध्येए सिंघी जैन ग्रन्थमालामा प्रकाशित हरिषेणकृत 'बृहत्कथाकाश'नी तेमनी भूमिकामां (१९४३) जैन संस्कृत विशेना पूर्ववर्ती अध्ययनानो ख्याल आपीने 'बृहद्कथाकोश'मांथी तारवेला नोंधपात्र प्रयोगानी एक विस्तृत सार्थ यादी रजू करी छे । पण अमुक कतिओ लईने तेमांना अमुक अमुक दृष्टिले नोंधपात्र बधा शब्दा अने प्रयोगानी पद्धतिसरनी यादी अर्थ अने अर्वाचीन समान्तर प्रयोगो सहित रजू करवाना विस्तृत प्रयास भोगीलाल जे. सांडेसरा अने जे. पी ठाकरना Lexicographical Studies in Jain Sanskrit (१९६२)मां थयो । तेमां 'प्रबन्धचिन्तामणि', 'प्रबन्धकोश' अने 'पुरातनप्रबन्धसाग्रह माथी लगभग अढी सेो पृष्ठ भरीने सामग्री आपी छे । अनेक स्थळे मूळमाथी उद्धरणो, समान्तर प्रयोगस्थानो, व्युत्पत्तिनोंध के अर्वाचीन भाषाओमांथो तुलनात्मक सामग्री पण प्रस्तुत करी छ । तेमना अध्ययननो पछीनो खंड पण तेमणे 'जर्नल ओव ध ओरिएन्टल इन्स्टिटयूटचराडा'ना गोविंदलाल भट्ट स्मारक अंक (पृ० ४०६-४५६)मा प्रकाशित को छे। तेमां लगभग एकावन ग्रंथोमांथी सामग्री तारवीने आपी छे. प्रबन्धोनी तथा इतर जैन संस्कृत कथाग्रंथोनी भाषा लेकभाषाना प्रयोगाथी एटली भरचक होय छे के एक न ग्रंथमांथी सेंकडा प्रयोगो तारवीए तो पण घणा प्रयोगो वणनांध्या रही जाय । आ दृष्टिए सांडेसरा अने ठाकरे 'प्रबन्धकोश'मांथी तारवेली सामग्री साथे Jozef Deleuc anar Lexicographical Addenda from Rajasekharasuri's Prabandha Kosa (Indian Lingutstics, Turner Jubilee Volume II. १९५९, पृ० १८०-२१९) । ए लेखमां तारवेली सामग्री सरखावना जेवी छ । जोसेफ डेलेउनो लेख वधु पद्धतिसर, झीणवटवाळे अने
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