Book Title: Studies in Desya Prakrit
Author(s): H C Bhayani
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 295
________________ 261 तेने तोडीने ते बहार नीकळी गयानी वात छे.) विचणी २४७-२५ (१) (लाकडीने ‘पदकवृता' अने 'विचणीमया' कही छे) 'गादह' = गधेडो अने 'बूची' एवा नामे ओळखावे जे.) भूतेल ३४६-२९, ३४७-१ भूतिओ वंटोळ. राज 'भतलिया' (व टोळने 'भूतेल' कह्यो छे) महिणिम पर्व ५९, १३-१४ महिणिकाव पर्व २७२-२ देवी पूजा माटेनु आसे सुद नोम सुधीनु पर्व, नवरात्र रउलाणी ५४, १२-१६, ५५, १२-१४ 'राउळ' नुस्त्रीलिंग. 'राजराणी' (योगीनी सिद्धि बुद्धि नामनी शिष्याओंने 'रउलाणी' कही छे) लोटिक २४२.२७ एक नानो सिक्को (प्र० को०९७-२६ मां पण आ शब्द अने बात छे सांडेसरा अने ठाकर ते 'लाहडिया' नुं संस्कृती कृत रूप होवानुं सूचवे छे) वतुलक । ४४,५-७, ८७-६, वर्तलक १२.५ २६ वतुल वटलाई (८७-६मां कानमां पाणी भरेलु वतु लक' मूकवानी वात छे १२५-२६मां तेल भरेलु वतु ल' लई जतां तेमांथी तलना टीयां पड्यानी बात छे. ४४ मां सेापारी जेवडा आकारनी उपर 'वतुलक' ढांकवानी वात छे. आ उपरांत प्र० का मां घी भरेला 'वर्तुलक'नो निर्देश छ। वलयमुख १०९, ९-१०-२० नेतर के चांसना नानो घडो जेमां माछटीओ रखाय छे. (माछली माटे 'वलयमुख' मांड्यानी अने शर्वरी ३४२-२५ साधुने वहोशववानी __ कोई खाद्य वस्तु (१) शिनिकका १७८-६ जुओ० 'प्रशकिका' शंगारिकोटिशाटी ४९-८ करोडनी किंमतनी शणगारेली साडी (प्र० चिं० ८१ १२-१३, पुरा० प्र. ४०-२ ४६-२८) संचारक २३३-१० संडास गदु नाळु (गुस्से थईने पुत्रने 'अशुचि संचारक'मां नाख्यानी अने तेमांथी काढीने पाणीथी नवराव्यानी वात छे. प्र. चिं. ३४, २०२१मां माघ पडितनी समृद्धि वर्णवतां तेना 'संचारक'नु भूमितल काचनु हावानुजणाव्युछे.) समारित १६६-१० खसी करेलो ('असमारित' बळदने खेतरमां खेडवा माटे हांकवानी वात छे) सहो लिक (पु) १६९,४-८ (तेलना) कूपा राज० 'सहोलिया' 'झावलिया' स्फरक १३२-१ (?) लूटाराओ स्त्रीने उपाडी गया तेने छोडाववा चार से स्फरक'वाणियाए मान्यानी वात छे. 'स्पर्धक ने बदले हशे) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316