Book Title: Sthanang Sutra Dipika Vrutti
Author(s): Vimalharsh Gani, Mitranandvijay
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 9
________________ श्रीस्थानाङ्ग सूत्र दीपिका वृत्तिः ॥५॥ Jain Education Inter आ विषमकाळमां आगमग्रंथो अध्यात्मनो प्रकाश पाथरनारा छे आराधनामां अपूर्व जोम प्रगटावनारा छे. श्री देवचंद लालभाई जैन पुस्तकोद्धार फंड संस्थाप आगमरसिकोने अने संस्कृतना अल्पबोधबाळा मुनिओने पण आगमरस पीवा मळे ते उद्देशथी पूजनीय आगमशास्त्रोनी दीपिका टीकाओ प्रगट करवा मांडी छे. तेथी आ ग्रंथाने वांचवाना अधिकारी मुनिभगवंतो आना वांचन-मनन द्वारा संस्थानो उद्देश सफळ करे अने आगमसुधाना पानथी तत्त्वसंवेदन ज्ञानना आराधक बने ! स्थळ : विजय दानसूरीश्वर ज्ञानमंदिर कालुपुर, अमदावाद. सं. २०२९ फागण वद ६. ता. २९-३-७३ रविवार. लि. पूज्यपाद तपोरत्नमहोदधि ज्ञानदिवा कर प्रभावक प्रवचनकार परमगुरुदेव पू. आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय भुवनभानुसूरीश्वर सुशिष्यरत्न प्रशमनिधि पू. गुरुदेव पंन्यास प्रवरश्री पद्मविजयजीगणिवर शिष्याणु मित्रानंद विजय. For Private & Personal Use Only प्रस्तावना । ॥ ५ ॥ www.jainelibrary.org

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