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34 : श्रमण, वर्ष 65, अंक 1/जनवरी-मार्च 2014 राज्य लिप्सा और उसके कारण वचन से विमुख होने की इस घटना से बाहुबली अत्यन्त दुःखी हुए। उन्होंने तत्क्षण राज्य त्यागकर दीक्षा ग्रहण करने का निर्णय किया। अपने इस निर्णय के बाद बाहुबली ने वस्त्राभूषणों का त्यागकर केशों का लुंचन किया और जैन धर्म में दीक्षा ग्रहण की। दीक्षा ग्रहण करने के बाद बाहुबली ने कठिन तपस्या की और पूरे एक वर्ष तक कायोत्सर्ग मुद्रा में खड़े रहे। ज्ञातव्य है कि कायोत्सर्ग-मुद्रा साधना की कठिन मुद्रा है और सभी जैन तीर्थंकरों ने इसी मुद्रा में तपस्या की थी। यहां यह उल्लेख भी प्रासंगिक होगा कि बाहुबली की मूर्तियां केवल कायोत्सर्गमुद्रा में ही निरूपित हुई हैं। एक वर्ष की तपस्या के बाद बाहुबली को कैवल्य प्राप्त हुआ। श्वेताम्बर परम्परा के अनुसार दर्प के कारण बाहुबली कुछ समय तक कैवल्यप्राप्ति से वंचित रहे। ऋषभनाथ बाहुबली के दर्प की बात को जानते थे, इसी कारण उन्होंने बाहुबली का दर्द दूर करने के लिए उनकी दोनों बहनों ब्राह्मी और सुन्दरी को उनके पास भेजा। दर्प से मुक्त होने के बाद ही बाहुबली केवल ज्ञान प्राप्त कर सके। श्वेताम्बर स्थलों की मूर्तियों में परम्परा के अनुरूप बाहुबली के पार्श्व में साध्वी वेश में ब्राह्मी और सुन्दरी की आकृतियों का अंकन और दर्प के प्रतीक के रूप में गज का अंकन देखा जा सकता है। जबकि दिगम्बर परम्परा के अनुसार ध्यानस्थ बाहुबली के शरीर से लिपटी माधवी की लताओं को विद्यापरियों ने हटाया था। दिगम्बर ग्रन्थों में बाहुबली की बहनों ब्राह्मी और सुन्दरी की उपस्थिति का सन्दर्भ नहीं मिलता है। ग्रन्थों के आधार पर दिगम्बर स्थलों की मूर्तियों में बाहुबली के दोनो पार्थों की सर्वागंसुन्दरी स्त्री आकृतियों की पहचान ब्राह्मी और सुन्दरी के स्थान पर विद्याधरियों से की गयी है। एक वर्ष की कठिन तपस्या की अवधि में बाहुबली शीत सूर्य, ताप, वर्षा, वायु
और बिजली की कड़क को शांतभाव से सहते रहे। आदिपुराण के अनुसार नग्नवेश में बाहुबली एक वर्ष की कठिन तपस्या में परिग्रह रहित होकर अत्यन्त शान्त थे। दिगम्बर व्रत को धारण करते हुए बाहुबली कषाय से भेदन नहीं किये जा सकते थे। आगे उल्लेख है कि बाहुबली के इस प्रकार तप कर्म से पूरे वन में शान्ति व्याप्त हो गयी और हिंसक पशु हिंसा का त्याग कर शांत हो गये अर्थात् महापुरुष के समागम से क्रूर से क्रूर जीव में अहिंसा का भाव व्याप्त हो जाता है। इस प्रसंग में उल्लेख है कि बाहुबली का सम्पूर्ण शरीर लता