Book Title: Siddhantasaradisangrah
Author(s): Pannalal Soni
Publisher: M D Granthamala Samiti

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Page 10
________________ उद्यापनमदीपिष्ट पल्योपमविधेश्च यः। चारित्रशुद्धितपसश्चतुस्त्रिद्वादशात्मनः ॥ ७६ संशयिषदनविदारणमपशब्दसुखण्डनं परं तर्क। सन्तस्वनिर्णयं वरस्वरूपसंबोधिनी वृस्तिम् ॥ ७७ अध्यात्मपत्ति सर्वार्थापूर्वसर्वतोभद्रम् । योऽकृतसयाकरणं चिन्तामणिनामधेयं च ॥ ७८ हत येनांगप्रज्ञप्तिः सर्चाद्वार्थानरूपिका । स्तोत्राणि च पवित्राणि षड्वादाः श्रीजिनेशिनां ।। ७९ तेन श्रीशुभचन्द्रदेवधिदुषा सत्पाण्डवानां परम् । पुष्यत्युण्यपुराणमत्र सुकरं चाकारि प्रीत्या महत् ॥ ८० श्रीमविक्रमभूपतोकहते स्पष्टाष्टसंख्ये शते रम्येऽष्टाधिकवत्सरे सुखकरे भाद्रे द्वितीयातिथौ । श्रीमताम्वरनिर्वृतीदमतुले श्रीशाकवाटे पुरे श्रीमच्छीपुरुषाभिधे विरचितं स्यात्पुराणं चिरम् ॥ ८६ अर्थात् पाण्डवपुराणके कर्ता शुभचन्द्राचार्य के बनाये हुए नीचे लिखे प्रन्ध १ चन्द्रप्रभचरित, २ पद्मनामचरित, ३ जीबंधरचरित, ४ चन्दनाथा, ५ नन्दीश्वरकथा, ६ आशाधरकृत अर्चा (नित्यमहोद्योत ) की टौका, त्रिशचतुर्विंशतिपूजापाठ, ८ सिद्धपकवतपूजा, ९ सरस्वतीपूजा, १. चिन्तामणियंत्रपूजा, ११ कर्मदहनविधान, १२ गणधरवलयपूजा, १३ ( वादिराजकृत) पावनाथकाव्यकी पंजिका टीका,* १४ पल्यवतोद्यापन, १५ चतुनिशदधिकद्वादश शतोद्यापन ( १९३४ मतका उद्यापन ), १६ संशयिवदनविदारण ( श्वेताम्बरमतखण्डन ), १५ अपशब्दखण्डन, १८ तत्त्वनिर्णय, १९ स्वरूपसम्बोधन( अफलंक देवकृत ?) की वृप्ति, २५ अध्यात्मपद्मटीका, २१ सर्वतोभद, १२ चिन्तामणि नामक प्राकृतव्याकरण, २३ अंगनझप्ति, २४ अनेकस्तोत्र, २५ षड्वाद और पाण्डवपुराण । * यह अन्य स्वर्गीय सेट माशिकचन्दजीके ग्रन्थभाण्डारमें मौजूद है । x यह ग्रन्थ माणिकचन्दप्रन्थमाला में प्रकाशित होनेवाला है।

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