Book Title: Siddhachal Vando Re Nar Nari
Author(s): Mahendrasagar
Publisher: Mahendrasagar

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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (२०) भावानया- नेग नरिंद - विंदं ( गाथा ४ ) (२१) भक्तामर - प्रणत- मौलिमणि-प्रभाणा ( गाथा ४) स्तवन विभाग १. आंखडीए में आज शत्रुंजय दीठो रे (गाथा ७) २. सौ चालो सिद्धगिरि जईए ( गाथा १५) ३. विमलगिरिने भेटता (गाथा ६) ४. मारुं मन मोह्युं रे (गाथा ५) ५. वंदना वंदना वंदना रे ( गाथा ५) ६. तुमे तो भले बिराजोजी... (गाथा ९) ७. ते दिन क्यारे आवशे... (गाथा ८) ८. आवी रूडी भगति में ... ( गाथा ६) ९. श्री आदीश्वर अंतरजामी (गाथा ६) १०. शोभी शी कहुं रे (गाथा ५) 4004 १७. तीरथनी आशातना नवि करीए... (गाथा ८) १८. सिद्धाचल शिखरे दीवो रे... (गाथा ८) १९. विमलाचल नितु वंदीए ... ( गाथा ५) २०. बापलडां रे पातिकडा... (गाथा ८) २१. शेत्रुंजा गढ़ना वासी रे... ( गाथा ५) २२. सिद्धाचलनो वासी प्यारो... ( गाथा ६). ९ .४४ .४५ For Private and Personal Use Only .४६ .४७ .४८ .४९ .५५ .५५ ११. प्यारो लागे सारो लागे... (गाथा ८) १२. आज मारा नयणा सफल थया... (गाथा ६) १३. श्री आदिश्वर साहिबा हुं केम... (गाथा ७) १४. सिद्धगिरि ध्यावो भविका ! ( गाथा ८) .५६ .५७ ..५८ १५. सिद्धगिरि मंडन पाय नमीजे (गाथा ७) १६. प्रीतलडी बंधाणी रे विमलगिरीन्द शुं... ( गाथा ८ ) .... ५८ .६० .६१ .६२ .६२ .६३ .६४ .५० .५० .५१ .५२ .५३ .५४

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