Book Title: Siddhachakra Mandal Vidhan Author(s): Publisher: ZZZ Unknown View full book textPage 8
________________ . . =(सिद्ध चक्र हीं मंडल विधान - HOON प्राय भारत वर्ष में इस विधान का सर्वत्र जैन समाज में प्रचार पाया जाता है। भालवा तथा खासकर इन्दौर मे तो प्रतिवर्ष ही प्रायः यह होता रहता है और कभी २ तो बहुत ही उच्च समारोह के. साथ हुआ करता है । इसी वर्ष के आषाढ मास में दि. जैन समाज के अनभिषिक्त सम्राट श्रीमन्त सेठ दा. वी. ती. शि. रा. ब. रा. भू. रा. रा. रा र. जैन दिवाकर श्रीमान् सर सेठ हुकमचन्द्रजी सा. की तरफ से कितने बड़े और सुन्दर समारोह के साथ यह विधान मनाया गया था उसकी महत्ता का अनुभव प्रत्यक्ष दृष्टा ही कर सकते है जिसको कि देखने के लिये बाहर की भी जनता करीब १५ हजार की संख्या में उपस्थित हुई थी और जब कि उपस्थित समाज के सिवाय दि. जैन समाज की सभी भोजनशालाओं तथा स्थानीय जैन अजैन सभी भोजनालयों में आप की तरफ से भोजन कराया गया था। यह तो एक असाधारण समारोह था परन्तु अन्य श्रीमानों के द्वारा भी बहुत कुछ समारोह पूर्वक यहां यह विधान होता ही रहता है । ऐसे अवसरों पर इस विधान की शुद्ध मुद्रित प्रतियो की आवश्यकता का अनेक बार अनुभव किया गया है । अतएव इस को मुद्रित कराकर प्रकाशित किया जा रहा है। OH यद्यपि कुछ वर्ष पहले सूरत से स्व. कविवर सतलालजी कृत एक सिद्ध चक्र मंडल विधान छप कर प्रकाशित हो चुका है. परंतु वह सस्कृत नहीं, हिन्दी है । संस्कृत का यह विधान जहां तक हम समझते है अभीतक कहीं से प्रकाशित नही हुआ है।Page Navigation
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