Book Title: Shrutsagar 2018 11 Volume 05 Issue 06
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR November-2018 संपादकीय रामप्रकाश झा दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ श्रुतसागर का यह नूतन अंक आपके करकमलों में समर्पित करते हुए हमें प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। प्रस्तुत अंक में योगनिष्ठ आचार्यदेव श्रीमद बुद्धिसागरसूरीश्वरजी म. सा. की कृति “आध्यात्मिक पदो” की गाथा ६७ से ७९ तक प्रकाशित की जा रही हैं। इस कृति के माध्यम से साधारण जीवों को आध्यात्मिक उपदेश देते हुए पूज्यश्री ने अहिंसा, सत्यपालन, आहारादि से संबंधित प्रतिबोध कराने का प्रयत्न किया है। द्वितीय लेख राष्ट्रसंत आचार्य भगवंत श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा. के प्रवचनों की पुस्तक 'Awakening' से क्रमबद्ध श्रेणी के अंतर्गत संकलित किया गया है, जिसके अन्तर्गत जीवनोपयोगी प्रसंगों का विवेचन किया गया है। अप्रकाशित कृति के रूप में सर्वप्रथम श्री संघविजय रचित “१३ भवगर्भित पंचोटिमंडन श्रीआदिजिन स्तवन” प्रकाशित किया जा रहा है। कुल ७१ गाथाओं की इस कृति में पाटण के पंचोटी में विराजमान आदिनाथ प्रभु की स्तवना की गई है। इस कति के माध्यम से प्रथम तीर्थंकर श्री आदिनाथ भगवान के १३ भवों का संक्षिप्त वर्णन किया गया है। द्वितीय कृति के रूप में आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर की विदुषी कार्यकर्ली सुश्री मीनाक्षी शिन्दे के द्वारा सम्पादित श्री समयसुंदर गणि कृत “दीपावलीपर्व सज्झाय” प्रकाशित किया जा रहा है। इस लघु कृति की कुल २२ गाथाओं में दीपावली पर्व की महिमा का सुन्दर वर्णन किया गया है। तीसरी कृति के रूप में उपाध्याय भावहर्ष द्वारा रचित “ज्ञानपंचमी स्तवन" प्रकाशित किया जा रहा है। इसके सम्पादक पंडित श्रीगजेन्द्रभाई शाह हैं। इस कृति के माध्यम से ज्ञान की महत्ता दर्शाते हुए ज्ञानपंचमी की आराधना की विधि बतलाई गई है। प्रस्तुत अंक से पुस्तक समीक्षा पुनः प्रारम्भ की जा रही है, इसके अन्तर्गत इस अंक में आचार्य श्री यशोविजयसूरीश्वरजी म. सा. द्वारा रचित “ध्यान: आंतर यात्रा" पुस्तक की समीक्षा प्रकाशित की जा रही है। पुनःप्रकाशन श्रेणी के अन्तर्गत इस अंक में “सोलमा शतकनी गुजराती भाषा" नामक लेख का गतांक से आगे का भाग प्रकाशित किया जा रहा है। हम आशा करते हैं कि इस अंक में संकलित सामग्रियों के द्वारा हमारे वाचक अवश्य लाभान्वित होंगे व अपने महत्त्वपूर्ण सुझावों से हमें अवगत कराने की कृपा करेंगे, जिससे आगामी अंक को और भी परिष्कृत किया जा सके। For Private and Personal Use Only

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