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श्रुतसागर
नवम्बर-२०१८ ५. वृषभ - तीक्ष्ण सींगों वाले व ताकतवर कंधोंवाले यूथाधिपति बैल की तरह
ज्ञानवान् व्यक्ति भी गण के अधिपति के रूप में देदीप्यमान होता है। ६. सिंह - तीक्ष्ण दाँतों वाला, पूर्ण युवा, दुष्पराजेय सिंह जैसे पशुओं में श्रेष्ठ होता है,
वैसे ही बहुश्रुत भी अन्यतीर्थियों के बीच सुशोभित होता है। ७. वासुदेव - शंख, चक्र एवं गदा को धारण करने वाले वासुदेव की तरह अधिक
ज्ञान को धारण करने वाला ज्ञानी भी अपराजित एवं बलवान् होता है। ८. चक्रवर्ती - १४ रत्नों के स्वामी, महान् ऋद्धिवान्, चातुरंत चक्रवर्ती की तरह ज्ञानी
भी १४ पूर्वो की विद्या से समृद्ध होते हैं। ९. इन्द्र - जिस प्रकार हजार आंखों वाला, हाथ में वज्र को धारण करने वाला पुरन्दर
शक्र (इन्द्र) देवों का अधिपति होता है, वैसे ही बहुश्रुत भी धर्मनिश्चलता से देवों
के द्वारा पूजनीय होता है। १०. सूर्य - जिस प्रकार अन्धकार का नाशक उदयमान सूर्य तेज से देदीप्यमान होता
है, वैसे ही ज्ञानी ज्ञानतेज से देदीप्यमान होता है। ११. चंद्र - जैसे नक्षत्रों के परिवार से परिवृत पूर्णिमा का पूर्ण चंद्र सुशोभित होता है,
उसी प्रकार अनेक साधुगण से परिवृत बहुश्रुत ज्ञानी भी अपनी ज्ञानकलाओं से
पूर्णरूप से सुशोभित होता है। १२. कोष्ठागार - जिस प्रकार सामाजिक किसान या व्यापारी आदि का धान्य भंडार
सुरक्षित व विविध प्रकार के धान्यों से परिपूर्ण होता है, वैसे ही ज्ञानवान् व्यक्ति
भी अंग, उपांग, प्रकीर्णकादि विविध प्रकार के ज्ञान से परिपूर्ण होता है। १३. जम्बूवृक्ष - जैसे जम्बूद्वीप के अधिपति ‘अनादृत' देव का 'सुदर्शन' नामक जम्बू
वृक्ष अन्य वृक्षों में श्रेष्ठ होता है, वैसे ही बहुश्रुत भी साधुओं में श्रेष्ठ होता है। १४. नदी - जिस प्रकार नीलवंत वर्षधर पर्वत से निकली हुई जलप्रवाह से परिपूर्ण,
समुद्रगामिनी सीता नदी सभी नदियों में श्रेष्ठ है, वैसे बहुश्रुत ज्ञानी भी श्रेष्ठ हैं । १५. मेरु पर्वत - जिस प्रकार विविध औषधियों से दीप्त मेरु पर्वत अन्य पर्वतों में श्रेष्ठ
है, वैसे ही बहुश्रुत सभी साधुओं में श्रेष्ठ हैं। १६. समुद्र - सदैव अक्षय जल से परिपूर्ण स्वयंभूरमण समुद्र जिस प्रकार नानाविध
रत्नों से परिपूर्ण रहता है, उसी प्रकार बहुश्रुत भी अक्षय ज्ञान से परिपूर्ण होता
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