Book Title: Shrutsagar 2018 11 Volume 05 Issue 06
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
श्रुतसागर
॥४॥
10
नवम्बर-२०१८ कृति परिचय:
७१ गाथायुक्त पद्यबद्ध आ कृतिनी भाषा देशी मारुगुर्जर छ । कृतिनी रचना 'संवतसशिरसकायनिधान' एटले के विक्रम संवत १६६९ आश्विन शुक्ल पक्षमा तृतीयाना दिवसे थयेली छ। कृतिना प्रारंभे कर्ताए मंगलाचरणमां अमृतवचननी देनारी कविओनी माता सरस्वती, शासनदेवी तथा गुरुनु स्मरण कर्यु छे। त्यार बाद पुनः स्तवना करतां पूर्वे आदिनाथजीने पण समर्या छे अने कह्यु के“जु सुगुर मुखि अवतरइ, कोडि पूरवनुं आय। कोडि रसना जु मुखि हुई, तुहि गुण कह्या न जाय अनंत गुण जिनजी तणा, कहितो न लहुं पार। तु हिई मुज उलट थयो, थुणवा श्री नाभि मल्हार"
॥५॥ ___जो सुगुरु मुखमां अवतरे, आयुष्य करोड पूर्व- थई जाय, मुखमां करोड जिह्वा होय तो पण नाभिनंदनना गुणनो पार न आवे।
मंगल स्मरण पश्चात् प्रथम तीर्थंकर श्री आदिनाथजीना १३ भव, पर्याय अने संपदाना उल्लेख पूर्वक १७मी सदीमा प्रवर्तमान मधुर भाषा शैलीमा प्रभुनी स्तवना करी छ । विशेषमां प्रतिमानी प्राचीनता दर्शावतां संप्रति महाराजाना सुकृत्योनी टुंकी नोंध पण कर्ताए मुकी छ। कृतिविषयगत आदिनाथजीना १३ भवनी टुंक नोंध
प्रथम भवे महाविदेहक्षेत्रमा धना सार्थवाह थया अने मुनिने घी- दान आप्यु । द्वितीय भवे देवकुरुक्षेत्रमा युगलीया थया। लीजे भवे सौधर्म देवलोकमां देव थया। चोथे भवे महाविदेहमां महाबल राजा थया। पांचमे भवे ईशान देवलोकमां ललितांग नामे देव थया । छठे भवे महाविदेहमां वज्रजंघ नामे राजा थया । सातमे भवे उत्तरकुरुमां युगलीया थया। आठमे भवे सौधर्म देवलोकमां देव, नवमे भवे वैद्य थया त्यां साधुओनी सेवा करी तीर्थंकर नामकर्म उपार्जन कर्यु । दशमे भवे २२ सागर आयुष्य वाळा १२मा अच्युत देवलोके देव थया, अग्यारमे भवे महाविदेहमां पुंडरीगिणि नगरीमां वज्रसेन नामे चक्रवर्ती थया, अहिं कविए चक्रवर्तीनी ऋद्धिनुं वर्णन कर्यु छे। अंते चक्रवर्ती संयम स्वीकारी वीस स्थानकनी २०-२० वार आराधना करी बारमे भवे सर्वार्थसिद्ध नामना अनुत्तर विमाने ३३ सागरोपमना आयुष्यवाळा लवसत्तम नामे देव थाय छे अने तेरमे भवे प्रथम तीर्थंकर तरीके जन्म ले छे।
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36