Book Title: Shrutsagar 2018 11 Volume 05 Issue 06 Author(s): Hiren K Doshi Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba View full book textPage 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org SHRUTSAGAR 9 श्री संघविजय कृत १३ भवगर्भित पंचोटिमंडन श्रीआदिजिन स्तवन Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir November-2018 मैत्री शाह 1 आचार्य श्री शीलगुणसूरिजीना आशीर्वादथी वनराज चावडा द्वारा स्थापित, कलिकाल सर्वज्ञ आचार्य श्रीहेमचंद्रसूरि महाराजा जेवाथी पावन थयेल तथा कुमारपाळ महाराजा जेवा शासनभक्त गुरुभक्त राजा अने धर्मरसिक श्रेष्ठीवर्योथी वासित, तीर्थरूप शताधिक प्राचीन जिनालयोथी मंडित, प्रख्यात प्राचीन ज्ञानभंडारोनी भूमि, अनेक पोळपाडा अने महोल्लाथी मंडित एवी नगरी पाटण नी प्रभुताथी आज कोई अजाण नथी । आ ज भव्य पाटण मध्ये स्थित एक तीर्थनी स्तवना अत्रे करवामां आवी रही छे। 'पांचोटिमंडण श्री आदिजिणंद, दरिसन दीठड़ परमाणंद, जिनमंदिर सुरमंदिर जिस्युं, पेखतां मुझ हियडुं हस्युं' जेनुं दर्शन अनोपम आनंदनुं कारण छे, जेनुं मंदिर देवमंदिर जेवुं शोभे छे, एवा पाटणना पंचोटी महोल्लामां बिराजमान श्री आदिनाथजीनी स्तवना आ कृतिमां कराई छे । कृतिमां वर्णवेल प्रतिमा संप्रति महाराजाना समये निर्माण करायेल होवानुं कर्ता नोंधे छे तथा साथे-साथे ६६मी गाथामां लखे छे के- 'श्री श्रीमाली न्याति मंडाण, वसइ श्रावक तिहां चतुर सुजाण, पूजा भगति जिननी बहु करइ, पुण्य भंडार निज पोतइ भरइ' श्रीमाली ज्ञातिना चतुर श्रावक त्यां वसे छे अने आ प्रतिमानी पूजा बहु ज भक्तिभावथी करी पोताना पुण्यभंडार भरे छे। कर्ता परिचय: 'जैन गुर्जर कविओ' अने 'सम्राट अने सूरीश्वर' पुस्तकना आधारे मेघजी ऋषिए लोंकामतनो त्याग करी सं. १६८२मां आचार्य हीरविजयसूरि पासे दीक्षा लीधी अने मेघजी ऋषिनुं नाम उद्योतविजय राखवामां आव्युं । आ प्रसंगे अमदावादना जैन संघे मोटो उत्सव कर्यो हतो । आ दीक्षा- अवसरे मेघजीनी साथे तेमना त्रीस (मतांतरे अठ्यावीस) शिष्योए पण तपागच्छनी दीक्षा लीधी । ते त्रीसमां मुख्य आंबो, भोजो, श्रीवंत, नाकर, लाडण, गांगो, गणो, माधव अने वीरादि हता । तेमांथी 'गणो' नामना शिष्यनुं 'गुणविजय' एवं नाम राख्यं । अने तेमना शिष्य ते कवि संघविजय । जे आ कृति ना कर्ता कही शकाय । 1 For Private and Personal Use Only कर्ताए कृतिमां ते समये विद्यमान गच्छाधिपति तरीके श्रीविजयसेनसूरि महाराज तथा तेओश्रीना शिष्य आचार्य श्रीविजयदेवसूरि महाराजना नामनो उल्लेख कर्यो छे। एटले के तेमनी विद्यमानतामां कृतिनी रचना थई तेवुं कही शकाय ।Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36