Book Title: Shrutsagar 2018 09 Volume 05 Issue 04
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 11
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सितम्बर-२०१८ ॥१॥ श्रुतसागर गणि रंगविजयजी रचित पर्युषणपर्व स्तुति ॥GO॥ सासननायक वीर जिनेसर परव पजूसण भाख्योजी अती आडंबर ओछव घरि घरि दान दया मन राखोजी सकल परब मे मुगट नगीनो परब पजूसण कहीइजी छठ अठम तप पोसह करता अविचल पदवी लहीइजी सुंदर बाली रूप रसाली वदन वदे सुकमालीजी जिन चोवीसें पूजा करावो पीऊ अनोपम परम निहालीजी जीव तणी अमार पलावो पण्य करी काया पोषोजी अनेक प्रकार पूजा पकवांन करीने सयल संघ संतोषोजी सूत्र सिद्धांत मे राजा कहीइ कल्पसूत्र जग जाणोजी च्यार चरित्र जिन आंतरा कहीइ वीर पास नेम आदि वखांणोजी थेरावली समाचारी साधु पट्टावली अवधारोजी निज गुरुमुखथी श्रवणे सुणीने केवल कमला लहिं सारोजी दान संवच्छरी पडिक्कमणुं करतां नीरमल काया कीजेजी इण परि परव पजूसण करीने हेलां सिववधु वरीईजी गोमुख धरणेंद्र पदमावती देवी चक्केसरी जिन पाय सेवीजी गणि रंगविजय मेरु आस्या पूरो चउवीह संघ सुख देवीजी ॥ इति श्रीपजूसण स्तुति संपूर्ण ॥ ॥२॥ ॥३॥ ॥४॥ सांवत्सरिक मिच्छामि दुक्कडं खामेमि सव्व जीवे, सव्वे जीवा खमंतु मे ।। मित्ति मे सव्वभूएसु, वेरं मज्झ न केणइ ॥ For Private and Personal Use Only

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