Book Title: Shrutsagar 2018 09 Volume 05 Issue 04
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 18
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥१८॥ SHRUTSAGAR Septermber-2018 श्रीदेवीय नंदन वंदन थे फिर आवत नां कब ही घर तौटै॥ मिटै दुख दूर हरी जस पूर सौ सुख कु लेवत पोटे ही पौटै ॥१७॥ ॥ श्रीकुंथनाथजी वर्णनं ॥ सवेयौ २५ सौ ॥ अरदास सुणो अरनाथ जिनेशर औ ब्रह्म मूढ अजांण फर्यो है, भव कानन झंगी मे खूच रह्यौ जीऊ जायः(य) निगोद के धाम पर्यो है। फिर हु पुन्यराशि को योगे करी नर देह लही ध्रम सार वर्यो है, अपनै कुल रीत होवै जु करी हरी या विध ते परणाम कर्यो है ॥ श्रीअरनाथजी वर्णनं ॥ सवेयौ २३ सौ ॥ मल्लिजिणंद मीले परतिख्य कै उज्जल त्रिण ही रत्न दीयो है, तिण की सेव करे नितमेव युं सार संसार मै जान लीयो है। रत्न कुं यत्न करी सोही पालत जण अविचल राज कीया है। यो पंथ दील मे धार नीजै हरी पाउत जन्म ने फेर जीया है ॥ श्रीमल्लीनाथजी वर्णनं ॥ सवेयो २४ सौ ॥ श्रीमुनिसुव्रतनाथ कुं कागद भेजत पंथी नही इसो सो तिहां जांही, सिद्धपुरी इयांथी दूर भई दसवाही आराति कुं जानत नाही। संदेसु की रीत अरित भई फूनी आवत जावत नांही गुसांई, कहत हरी निज ग्यांन सै जानि ज्यौ वंदत है हम नित” इहांई ॥ श्रीमुनिसुव्रतनाथजी वर्णनं ॥ सवेईयौ २४ सौ ॥ नमै नमी पाय सुरनर आय जसै गुण गाय भेद के जोरे, प्रभु पद ध्यायः सदा सुख थाय सुभावना भाय कुंगति कुं मोरें। भगे भडवाय दूर दूख जाय लछि घर आय रहै हथ जोरे, श्री नमीजिणंद के पाऊ ग्रहै हरी ताह घरे गज पायक' घोरे ॥१९॥ ॥२०॥ ॥२१॥ 1. B टोटे, 2. A फेर्यो 3. B विध से, 4. B जत्न, 5. Aकया 6. A उं पंथ 7. B लीजे, 8. B पंथी कउ नही जांही, 9. A निभ 10. Bध्याय, 11. B गहैं, 12. B पायके For Private and Personal Use Only

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