Book Title: Shrutsagar 2018 09 Volume 05 Issue 04
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 14
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Septermber-2018 ॥२॥ SHRUTSAGAR ॥ श्रीऋषभनाथजी वर्णनं ॥ सवैयौ २४॥ बीजा जीनराय' की मूरत देखी सुरनर किंनर- सोहि मोहै है, अज्योध्या' कै भुप अनुपम रुप' लंच्छन ताह गयंद सोहै है। 'विजयासुत आय भली पर भाय सुताह घरे सुधैय कहै है, भगवत ध्यावै सोइ सुख पावै करहीरं सदा सीस आण वहै है" ॥ श्रीअजितनाथजी वर्णनः(न) श्री सवैया २३ सौ ॥ सकल्ल समीहित पूरणइ छतराय जितारी नंदन है, श्री संभवनाथ ही संभव्यौ दिल्ल मै मोह मिथ्यात निकंदन है।' हयवर लंच्छन सेनाही मायसु तन्न परिमल्ल चंदन है।" 12सो पंचमीगति को दत्त करो जिन तोह करी हरी वंदन है ॥ श्रीसंभवनाथजी वर्णनं ॥ सवेयौ २५ सौ ॥ अभिनंदन वंदन कोडि' सुरासुर आय के पाय करै नृत्य सेई, रसताल कंसालं भव लह जल्लरी भैरन फैरी सुवीण वजैई। धप्पमप्पधम्मप्प ददौं हिं कदौं हिंक मूर्ज मृदंग कि ध्वनि एई, सुरचै हरी नाटिक भरह भेद सै बोलती ध्वनिव ताततथेई ॥ श्रीअभिनंदननाथजी वर्णनं । सवैयौ २३ सौ ॥ ॥३॥ ॥४॥ सुमति के सद्म" सुमति जिनैशर पतंग ज्यूं तेज अतिह झलकै, आस्य सुध्यानिधि” कांति मुखे भाल मृगमणि मज्झीरम्य चलकै । 1. B जिनराज, 2. A किनरः 3. B अजोध्या, 4. B सरूपह 5. B जितशत्रु के नंद कुलवर संदर तोहि पूज्यां दूरगति खोहै है, 6. B विजयासुत आय भली परनाय सुताह घरे शुश्रेक होहै है, 7. यह चरण प्रत B में नहीं है, 8. B मिथ्यात्व, 9. यह चरण प्रत B में प्रथम क्रमांक पर है, 10. B सेनसु, 11. यह चरण प्रत B में क्रमांक द्वितीय पर है, 12. B कंचन वनसु तन्न सोहावत राय जीतारी को नंदन हें, 13. B कोड, 14. B जुवीण, 15. B धपमप्पधमप्प दोडि कदौंडिक मूर्ज मृदंग की धुनि, 16. A पद्म 17. B आस्य सु धानधि, 18. B सुखे, 19. B मुगृमणि सझरम्य चल्लकें, For Private and Personal Use Only

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