Book Title: Shrutsagar 2017 07 Volume 04 Issue 02
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 11
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मांडण संघवी रास Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गणि सुयशचंद्रविजयजी हमणां थोडां समय पूर्वे कोई जैनधर्म द्वेषी तत्त्वो द्वारा अणसणने आत्महत्या गणावी तेने अटकाववा माटेनां प्रयत्नो करायेलां. त्यारे तेनां विरोधमां भारतमां ठेरठेर स्थानकवासी विगेरे फिरकाओ द्वारा विविध गतिविधिओ आचराई हती. ते समये वर्तमानकाळने अनुलक्षीने पोतानां सम्प्रदायनी अणसण संबंधी मान्यता न होवा छतां श्वेतांबरपक्षीय समाज स्थानकवासी समाजनी साथे रह्यो अने बधाए भेगा थई जैन समाजनी एकतानी एक अमीट छाप लोकमानसमां ऊभी करी हती. एनां फळस्वरूपे कोर्टनो चुकादो स्टे तरीके आवी शक्यो हतो.' जे बाबतथी तमे सौ परिचित हशो ज. अहीं आ चर्चा एटला माटे करी छे कारण के प्रस्तुत कृति संघवी मांडणनी अणसण ग्रहण करवा अंगेनी ज विगतो रजू करती प्राचीन कृति छे. विशेषमां कविए ते वखतनी धार्मिक जीवदळनी मरणोत्तर क्रिया पर पण सुंदर प्रकाश पाथर्यो छे. जो के प्रस्तुत कृतिकार कोण छे, ते कृति अपूर्ण होवाने लीधे जाणी शकायुं नथी, पण कृतिनी रचना १७मी सदीमां ज कोइ लोंकागच्छीय साधु अथवा तो श्रावके करी होय तेवुं कृति जोतां लागे छे. हवे सौ प्रथम आपणे कृति परिचय मेळवीशुं. चोवीस तीर्थंकरोने, अरिहंतादि पांचने तथा स्थूलभद्रजीने नमस्कार करी कवि कृतिनी शरूआत करे छे. ते ज ढाळमां देव-गुरूनी स्तुतिनी साथे-साथे थरादथी साह जेसाजीनी निश्रामां निकळेला संघ (पदयात्रा) नी ऐतिहासिक विगतो आलेखाइ छे. तो बीजी ढाळमां संघमां पळातां नियमोनी तेमज हडादरि (अणाद्रा) आवी आबु चड्यानी विगतो छे. त्रीजी ढाळमां कवि अचलगढ यात्रानुं, मांडणना अणसण ग्रहण करवाना मनोरथनुं तेमज ते संबंधी मुहूर्तनुं वर्णन करे छे. आ ज ढाळनी पाछळनी गाथामां नोंधायेली अणसण माटे श्रीसंघ पासे अनुमति मांग्यानी वात काव्यनी महत्त्वपूर्ण सामग्री छे. आ बाजु संघ पण सीरोहीनां चैत्यो जुहारी थराद पाछां फर्यानी, संवरी साह जीवराजजी पण पाटणादि तीर्थयात्रा करी थराद पधार्यानी तेमज संघवी मांडणनां परिवारनी टंकी विगत चोथी ढाळमां छे. खास तो काव्यत्वनी दृष्टिए आ ढाळ सौथी वधु रसाळ छे. त्यार पछीनी ढाळमां कवि अणसण स्वीकारी सिद्धगति पामेलां महापुरुषोनां नामनी एक टूंकी यादी बनावी आपे छे, साथे-साथे अणसण स्वीकारतां मांडणनां देह-तेजनुं वर्णन पण गुंथे छे. छठ्ठी अने सातमी ढाळमां अणसणनां ५६मां दिवसे शक्रस्तव (नमुत्थुणं सूत्र) 1. खुशी की बात है कि इस केस के लिए बहुत सी साहित्य सामग्री कोबा से उपलब्ध करवाई गयी थी। For Private and Personal Use Only

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