Book Title: Shrutsagar 2017 07 Volume 04 Issue 02
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
13
July-2017
॥१५॥
॥१६॥
॥१७॥
SHRUTSAGAR
वाजिंत्र वजावि मद्दल झल्लर ताल, भुंगल दंडारस पंचशब्द कंसाल; श्रीजिनवर पूजी पाछा वलि सुजाण, वुलावा आवी माहाजन दि बहुमान संघ पाछु वलीउ पुहतुं थिरपुर मांहि, सांमहीउ आवं सहूनि भयु अच्छाह; केता दिन अंतरि आव्या साहा जीवराज, आबू सीरोहीइं वांदी श्रीजिनराज पाटण खंभाइति इहमदावादी सार, साहाजीनि साथिं आवें संघ अपार; साहा संघ संघातिं उछव अति घण थाय, ते वात सुणतां हईअडलि हरख न माइ साहा श्रीजीवराजप्रमुख धरमारथी जेह, आवीनि मिलीआ धरम-ध्यांन करि तेह; संघ आवी वांदि सहूअ कहि धिन्न धिन्न, दुरगति-दुख छांडि मांडण पुरुष-रतन्न काउसग बिंब आदिदेव प्रगट करा माहावीर, उछव अति थाइ हरखि साहस-धीर; धिन्न धिन्न मा झबकू धिन्न जागु जस तात, अंजणा कुलकलबी अणसण कीउ विक्षा(ख्या)त धिन्न धिन्न ते रजनी जेणी(णि) रातिं तुं जायु, धिन्न धिन्न साहा मांडण जैन धरम जेणि पायु; धिन्न धिन्न तुम्ह भगनी धिन्न धिन्न तुम्हचु भाई, धिन्न सगां सणीजां तुम्हथी ऊज्वल थाई धिन्न नगर थिराउद जिहां कणि उद्योत करावू, धिन्न धिन्न ते भविअण तुम्ह वंदणि जे आवु; धिन्न तुम्हसुं कामथी पाम्या बहू प्रतिबोध, नर विविध प्रकारिं नियम करि थई जोध
॥१८॥
॥१९॥
॥२०॥
॥२१॥
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36