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पार्श्वनाथ भगवान (एकलतीर्थी)
अजिदादेवि
(एकलतीर्थी)
लखमसिरि सम. कारिता प्रतिष्ठिता श्रीशांतिसूरिभिः ।
(त्रितीर्थी)
॥८०॥ श्रीनाणकीयगच्छे देवनागेन दाहडेन (का.)
पार्श्वनाथ भगवान (त्रितीर्थी)
चंद्रकुले लाल
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February-2017
प्राचीन साहित्य संशोधकों से अनुरोध
श्रुतसागर के इस अंक के माध्यम से प. पू. गुरुभगवन्तों तथा अप्रकाशित कृतियों के ऊपर संशोधन, सम्पादन करनेवाले सभी विद्वानों से निवेदन है कि आप जिस अप्रकाशित कृति का संशोधन, सम्पादन कर रहे हैं या किसी पूर्वप्रकाशित कृति का संशोधनपूर्वक पुनः प्रकाशन रहे हैं अथवा महत्त्वपूर्ण कृति का अनुवाद या नवसर्जन कर रहे हैं, तो कृपया उसकी सूचना हमें भिजवाएँ, इसे हम श्रुतसागर के माध्यम से सभी विद्वानों तक पहुँचाने का प्रयत्न करेंगे, जिससे समाज को यह ज्ञात हो सके कि किस कृति का सम्पादन कार्य कौन से विद्वान कर रहे हैं? यदि अन्य कोई विद्वान समान कृति पर कार्य कर रहे हों तो वे वैसा न कर अन्य महत्त्वपूर्ण कृतियों का सम्पादन कर सकेंगे.
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निवेदक सम्पादक (श्रुतसागर)