Book Title: Shrutsagar 2017 02 Volume 09
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 25
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR February-2017 अपरः प्राह- येषां न विद्या० मनुष्यरूपेण च भस्मरूपाः॥ तच्छ्रुत्वा रक्षा प्राह मूढकमध्ये क्षिप्ता, करोम्यहं सकलधान्यरक्षां द्राग्। मां वन्दन्ते मनुजाः, मुखशुद्धकरी सुगन्धाढ्या ॥ तब अन्य उदाहरण देते हुए पंडित ने कहा जिस व्यक्ति में विद्यादि गुण न हों, वह मनुष्यरूप में भस्म के समान है। यह सुनकर भस्म ने कहा कि- कोठी में डालने से मैं सकल धान्य की रक्षा करता हूँ, ललाट में लगे भस्म के कारण मनुष्य शीघ्रता से मुझे वंदन करता है और मेरा उपयोग दंतशुद्धि हेतु करने पर मुँह शुद्ध व सुगंधित रहता है। तेन नैतदुपमानं समीचीनम्इसलिए ऐसे गुणहीन मनुष्य के लिये यह हमारी उपमा उपयुक्त नहीं है। तदा पंडित पुनराह येषां न विद्या न तपो न दानं, ज्ञानं न शीलं न गणो न धर्मः। ते मर्त्यलोके भुवि भारभूता 'ते कीदृशां वेति च वीतरागः ॥ तब पंडित ने पुनः कहा कि जिस व्यक्ति में विद्यादि गुण न हों, वह धरती पर भाररूप हैं बाकी वे किस प्रकार के जीव हैं ? अर्थात् इनकी तुलना किसके साथ करनी, यह मैं नहीं जानता, भगवान् ही जानें। __ इस कृति के संपादन हेतु मूल संस्कृत में मुद्रित पुस्तक एवं हस्तप्रत में उपयुक्त पाठांतरों को भी यथायोग्य समावेश करने का प्रयास किया गया है। आशा है कि पाठकगण इससे लाभान्वित होंगे। 1 (घ) जानाम्यहं नैव च कीदृशाः स्युः।। क्या आप अपने ज्ञानभंडार को समद्ध करना चाहते हैं ? पुस्तकें भेंट में दी जाती हैं आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर, कोबा में आगम, प्रकीर्णक, औपदेशिक, आध्यात्मिक, प्रवचन, कथा, स्तवन-स्तुति संग्रह आदि विविध प्रकार के साहित्य तथा प्राकृत, संस्कृत, मारुगुर्जर, गुजराती, राजस्थानी, पुरानी हिन्दी, अंग्रेज़ी आदि भाषाओं की भेंट में आई बहुमूल्य पुस्तकों की अधिक नकलों का अतिविशाल संग्रह है, जो हम किसी भी ज्ञानभंडार को भेंट में देते हैं. यदि आप अपने ज्ञानभंडार को समृद्ध करना चाहते हैं तो यथाशीघ्र संपर्क करें. |पहले आने वाले आवेदन को प्राथमिकता दी जाएगी. For Private and Personal Use Only

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