Book Title: Shrutsagar 2017 02 Volume 09
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 26
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैन न्यायनो विकास (गतांक से आगे...) पू. मुनिमहाराज श्री धुरंधरविजयजी, शिरपुर १. श्री हरिभद्रसूरिजी तेओनो सत्ताकाळ विक्रमनी छठी सदीनी आसपासनो छे, जे समयमां बौद्धोनुं बहु जोर हतुं अने राजाओ विद्यामां रस लेतां हतां. राजसभामां मोटा मोटा शास्त्रार्थो थतां हतां. बौद्धोए शून्यवाद अने तर्कवादनी अतिगूढ समस्याओ ऊभी करी हती अने तेओ ते समस्याओ पोताना अनुयायी सिवाय अन्यने समजावतां न हता. आवा समये श्री हरिभद्रसूरिजी उत्पन्न थयां हतां. तेओ जाते ब्राह्मण हतां. चौद विद्याना पारंगत हता अने सत्य समजाया पछी जैन बन्यां हता. तेमणे शास्त्रार्थ करी बौद्धोने हराव्यां हतां अने अनेक जैन-न्याय ग्रन्थोनी रचना करी हती. ते समयना बौद्धोना जोरनो अने श्री हरिभद्रसूरिजीनी प्रतिभानो ख्याल नीचेना एक प्रसंगथी सारी रीते आवी शकशे. श्री हरिभद्रसूरिजीना बे भाणेज-शिष्य हंस अने परमहंस घणां बुद्धिशाळी हता. न्यायनी पराकाष्ठाए पहोंचवानी अने बौद्धन्याय शिखवानी तेमनी खूब इच्छा हती. अनेक व्यवसाय वगेरेने कारणे श्री हरिभद्रसूरिजी शिक्षण आपी शकता न हता, ते बन्ने बौद्ध-सम्प्रदायमां शीखवा माटे गया. शिक्षण लीधा बाद बौद्धोने खबर पडतां ते बन्नेने मरावी नाखवानो प्रबंध को. आ वातनी ए बन्नेने जाण थई एटले तेओ त्यांथी भाग्या. एक जण वचमां सपडाई जवाथी मरण पाम्या अने बीजा एक हरिभद्रसूरिजी पासे आवी पहोंच्या अने बधी हकीकत कही तरत ज स्वर्गस्थ थया. व्हाला शिष्योना आम अकाल अवसानथी श्रीहरिभद्रसूरिजीने क्रोध थयो. बौद्धोने शास्त्रार्थ करवा आमंत्रण मोकलाव्यु. हारे ते बळती कडाईमां पडे. बौद्धो हार्या. आचार्य महाराजे १४४४ बौद्धोने मारवानो संकल्प को हतो. गुरु महाराजश्रीना उपदेशथी क्रोध शांत थयो अने संकल्प माटे पश्चात्ताप करवा लाग्यां. तेनुं प्रायश्चित्त ली, अने ते प्रायश्चित्त तरीखे १४४४ ग्रंथनी रचना करी. हाल पण तेमना उपलब्ध ग्रंथोमां विरह शब्द आवे छे ते हंस अने परमहंसना वियोगनो सूचक छे. तेमनाविरचितन्यायग्रंथोआछे-१अनेकान्तवादप्रवेश,२अनेकान्तजयपताका, ३ अष्टक प्रकरणो, ४ न्यायप्रवेश सूत्र-(बौद्ध-न्यायना ग्रंथ पर) वृत्ति, ५ धर्मसंग्रहणी, ६ लिलतविस्तरा, ७ षड्दर्शनसमुच्चय, ८ शास्त्रवार्तासमुच्चय (वृत्तियुक्त). तेमनी For Private and Personal Use Only

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