Book Title: Shrutsagar 2016 03 Volume 02 10
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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SHRUTSAGAR
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15
नयरिहिं पडहु वजावीउ ए, वीरह वंदण रेसि के;
घरि घरि करइं वधामणां ए, आवओ आवओ नव नवे वेसि के;
पायक नरिंदह सहस सोलइ, सीसि सीकिरि सुंदारा; सहस सोलइ धरइ धयवर', पंच मेघाडंबरा; धवल मंगल बाल बोलइ, करइ रंगि वधामणां; पूरिआ फूल पगर पंथिहिं, सहस एक सुखासणा ॥११॥ ईण परि राजा चालिओ, च्यारइ च्यारइ चमर सिरि छत्र के; दीजइ कंचण मागता ए, नाचइ नाचइ ए नवरंग पात्र के;
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वजावीआ द्रहद्रह द्रम कि, क्रेंद्रे ढोल त्रंबक दडदडी; अढार सहस सुभद्र जाती, मंडिआ मयगल गुडी; चउवीस लक्ष नु(तु)खार सज्झा, तुच्छ कन्न कलाईआ; सहस एकवीस रथ धडुक्कर, रजई अंबर छाई ॥९॥
कोडि एकाणुवइ पायकु ए, चउसठि चउसठि राणी घाट के; शेत्र पटोली पहइरणिइ उढणि उढणि नवरंग घाट कि; कोटि एक० ॥ १०॥
चालीउ चतुरंग दलइं, देखी आपणी लखिमी घणी; मदइं मानइ त्रिण समाणी, लाछि सवि तिहुअण तणी; राय समोसरणि आवी, हस्त कंधई ऊतरी;
वीर वांदी ठामि बइठउ, त्रिणि प्रदिक्षणा देई करी ॥१३॥
1. पटोळु-ओढणु
2. धजावाळं छत्र
3. धजा फरकावनार
March-2016
निरखिउं सुरवर सयल सुरनर, असुर रिद्धिइं आपणी; समकाल जिणवर जात्रि आवई, तोइ भक्ति नही घणी;
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नयरि हि०॥८॥
इणि परि राजा० ॥१२॥
ईणइ ईणइ अवसर निरखींउ ए, इंद्रिहिं इंद्रिहिं अवधिहिं नाणि के; भूपति भगति भली करइ ए, दूषण दूषण आणइ माण के;
ईणइं अवस०॥१४॥

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