Book Title: Shrutsagar 2016 03 Volume 02 10
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 31
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra पृष्ठांक ढाल 18 18 19 19 22222 SHRUTSAGAR अलंकार घटित होता है । इस प्रकार भक्तामर स्तोत्र का आंशिक अलंकारशास्त्रीय अध्ययन से कुछेक अलंकारों का सामान्य परिचय प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है, अगर विस्तार पूर्वक अध्ययन किया जाए तो एक-एक छंद में अनेकों अलंकार एवं एक-एक अलंकार अनेकों बार प्रयुक्त है। इससे यह लघुकाय भक्तिकाव्य साहित्यिक गुणों से परिपूर्ण आदर्श भक्तिकाव्य के रूप में प्रस्तुत होता है। 21 22 20 23 23 24 1 2 2 2 3 4 5 5 गाथा 15 2 4 7 7 www.kobatirth.org 9 29 क्षति स्वीकार वोल्युम-2 अंक-9 अशुद्ध सघलइ ए टेव मुखइ खमासणत्ति संदे सावुं छट्ठेइ पोसा दोसा मिच्छाइ दुक्कड कुंकूमना भणसइ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only March-2016 शुद्ध सघलाइ टेव मुखि खमासण उत्ति संदेसा छट्ठइ पोसा दोए मिच्छा दुक्कड कुंकुना भणेसइ

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