Book Title: Shruta Skandha Author(s): Bramha Hemchandra, Vinod Jain, Anil Jain Publisher: Gangwal Dharmik Trust RaipurPage 19
________________ ब्रह्माहेमचंद्रविरचित विशेषार्थ - जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति में कुलाचल, क्षेत्र, तालाब, चैत्य, चैत्यालय तथा भरत व ऐरावत में स्थित नदियों की संख्या का निरूपण किया जाता है। बावण्णं छत्तीसं लक्रवसहस्सं पदस्स परिमाणं। दीवअसंखसमुद्दा भणिया दीउवहिपणत्ती ॥26|| 5236000 अर्थ :- जो परिकर्म बावन लाख छत्तीस हजार पदों के द्वारा असंख्यात द्वीप और समुद्रों का वर्णन करता है, उसे द्वीप सागर प्रज्ञप्ति परिकर्म कहते है। विशेषार्थ - द्वीप सागरप्रज्ञप्ति में द्वीप-समुद्रों की संख्या, उनका आकार, विस्तार उनमें स्थित जिनालय, व्यन्तरों के आवास तथा समुद्रों के जल विशेषों का निरूपण किया जाता है। लेस्सातियचउकम पयाण संखा य सुण्णतयसहिया। छद्दव्वाइसरूवं भासंति विवायपण्णत्ती ।।27।। 8436000 अर्थ :- जो परिकर्म चौरासी लाख छत्तीस हजार पदों के द्वारा छह द्रव्यों के स्वरूप का वर्णन करता है, उसे व्याख्या प्रज्ञप्ति परिकर्म कहते विशेषार्थ - व्याख्याप्रज्ञप्ति में रूपी अजीव द्रव्य, अरूपी अजीव द्रव्य तथा भव्य एवं अभव्य जीवों के स्वरूप का निरूपण किया जाता है। %E[14] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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