Book Title: Shruta Skandha Author(s): Bramha Hemchandra, Vinod Jain, Anil Jain Publisher: Gangwal Dharmik Trust RaipurPage 34
________________ ब्रह्माहेमचंद्रविरचित अर्थ :- मध्यम ग्रंथ के पदों की संख्या इक्यावन करोड़ आठ लाख चौरासी हजार छह सौ इक्कीस जानना चाहिए। पण्णत्तरिसयसहियं अडदहसीदी मुणेहु अंककमो। बाहिरसुदेसु अक्खर तं चउदह पयण्णयं णमामि ।।5।। ___80108175 अंगबाह्यश्रुतअक्षरसंख्या अर्थ :- आठ करोड़ एक लाख आठ हजार एक सौ पचहत्तर 80108175 समस्त अंग बाह्य के अक्षरों का प्रमाण है, उन सब अंग बाह्य श्रुत के अक्षरों को मैं प्रणाम करता हूँ। अडतीसातिण्णिसयासहस्सपण्णासलक्खवे मुणहु । पणदहअक्खरसहिया वाहिरसुदगंथया भणिया ||60| ग्रंथ 2503380 अक्षर 15 अंगबाह्यश्रुताक्षरग्रंथप्रमाणं अर्थ :- अंग बाह्य के समस्त श्लोकों की संख्या पच्चीस लाख तीन हजार तीन सौ अस्सी तथा शेष 15 अक्षर प्रमाण जानना चाहिए। सामाइयथुइवंदणपडिक्कमणं वेणइयकिदिकम्मं । कालियउत्तरज्झयणं कप्पं तह कप्पकप्पं च ।।61|| महकप्पं पुंडरियं महपुंडरियं असीदिया चेव। वंदे चउद्दसेदे अण्णेवि य अंगबज्झसुदे ।।62|| =[29] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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