Book Title: Shruta Skandha
Author(s): Bramha Hemchandra, Vinod Jain, Anil Jain
Publisher: Gangwal Dharmik Trust Raipur

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Page 41
________________ ब्रह्माहेमचंद्रविरचित अर्थ :- चतुर्थ काल के चार वर्ष में से तीन मास और पन्द्रह दिन शेष रहने पर अर्थात् चतुर्थकाल के तीन वर्ष, आठ मास और पन्द्रह दिन शेष रहने पर कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महावीर जिनेन्द्र सिद्धि को प्राप्त हुए। केवलणाणुप्पण्णो तहि समए गोयमस्स गणवइणो। णिव्वाणं समएणं णाणो य सुधम्म जाणेहु ।।66।। अंतेसु जंबुसामी पंचमणाणी य तहय णिव्वाणो। वासट्टि वरिसकालो अणुवट्टिय तिण्णि केवलिणो 167|| वर्ष 62 अर्थ :- जिस दिन भगवान महावीर सिद्ध हुए उसी दिन गौतमगणधर केवलज्ञान को प्राप्त हुए। पुन: गौतम स्वामी के सिद्ध होने पर सुधर्म स्वामी केवली हुए। सुधर्म स्वामी के कर्मनाश करने पर जम्बू स्वामी केवलज्ञान को प्राप्त हुए। जम्बू स्वामी के सिद्ध होने के पश्चात् फिर अनुबद्ध केवली नहीं हुए। गौतमादिक तीन केवलियों के धर्म प्रवर्तन काल का प्रमाण बासठ वर्ष है। अणयारअंतकेवलिसिरिहरजयणो सुसिद्धिअणुसरिआ चारणमुणी य चरिमं वंदेह सुपासयं णाम ।।68|| अर्थ :- केवल ज्ञानियों में अन्तिम केवली श्रीधर सिद्ध हुए और चारण ऋषियों में सुपार्श्वचन्द्र नामक ऋषि अन्तिम हुए। =[36] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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