Book Title: Shripal Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek, 
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 4
________________ श्री रामशे के जेम प्रेमानंद श्रादि अन्यना रचेला ग्रंथो वैष्णव या हिंदु धर्मने लगता हता तोपण प्रस्ता गुर्जर जापाना पोषक हता तेम श्रीमद् यशोविजयजीना ग्रंथो जैन धर्मने लगता हता तोपण गुर्जर वना. ॥ ॥ नापाना पोषक हता. जैन कविठुना गुर्जर जाषापोषक ग्रंथोमा मागधी वा संस्कृत शब्दो श्रावी ? जाय बे तेनुं कारण ए ले के जैन सादर मुनिने संस्कृत अने मागधी जापानो अभ्यास करवो पडे ने अने तेमां जैनाचार्योए हजारो ग्रंथो लखेला बे तेना आजे पुरातन नंमारो ठेकाणे ठेकाणे दृष्टिगोचर थाय ने, तेथी मागधी या संस्कृत जापाना शब्दो आवी जाय ए बनवा योग्य बे. | ही नव पदनी पूजारूप या रास (पद्यरूपे चरित्र) जे. नव पदनी उत्तम रीते पूजा करनार तरीके मुख्य उदाहरण श्रीपाल राजानुं जे. तेमनुं चरित्र था कृतिनी पूर्वे संस्कृतमां अने प्राकृतमां अनेक आचारोए लखेबुं अने ते सर्वनो आधार लश्ने श्रा रास रचवामां आव्यो हशे. नव पद ते श्रीअरिहंत, सिक, आचार्य, उपाध्याय, सर्व साधु, दर्शन, चारित्र, झान अने तप .श्रा नव पदनो महिमा अगाध : अने तेथी तेनुंथा रासमांजणाव्या प्रमाणे यथाविधि अनुसरण करवाथी मुक्तिमार्ग साधीशकाय बे. ॐ था रास शास्त्री गुजराती बंने अक्षरोमां पाववामां श्रावेल ने अने बंनेनी मली कुल दश श्रावृत्ति थ बे. या शास्त्री अक्षरमांबापेल रासनी पांचमी श्रावृत्ति अने तेमां घणो सुधारो वधारो करेल . वली चित्रो पण रंगीन घणा सुधारा वधारा साथे नाखेला जे.यावा बारीक वखतमां कागल, बोर्ड ने कपमाना नाव बेचार गणा वधी जवाथी या ग्रंथनी किमतमा रु०-१२-०नो वधारो करेल एटले प्रथम किमत रु. २-४-० हती तेने बदले रु.३-०- राखी ते ग्राहक महाशयो सहन करी एवा बीजा ग्रंथो प्रगट करवा अमोने उत्साहवंत करशे. यावा ग्रंथो जैन प्रजामां ॥२॥ |वधारे प्रगट थाय अने बूटथी वंचाय तो अमारो श्रम सफल थयो मानीशं. । था ग्रंथनां प्रुफ तपासवामां नजरदोषथी अथवा मतिदोषथी जे कांश जूलचुक रही होय ते 8 पक्षमा करी लखी जणाववाथी नवी आवृत्तिमा सुधारो करीशुं. किंबहुना ! ली. प्रकाशक. **************** *** Sain Education International For Personal and Private Use Only

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