Book Title: Shripal Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek, 
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 3
________________ POZORIA R 4455445-555 ॥प्रस्तावना॥ एक समये जैन धर्मनी अवर्णनीय जाहोजलालीनो सूर्य मध्याह्नमां प्रकाशमान् हतो, ज्यां महाराज जैन धर्मनी आणा शिरोधार्य करता हता अने तन, मन, धन अर्पण करी जैन शासनने शोलाप्रद बनावता हता. खरेखर ते जिनशासनना अलंकारोज हता के जेनां बनावेल जिन नुवनो, जैन प्रतिमा श्रने जैन नंडारो श्रापणने दृष्टिगोचर थाय . तऽपरांत तेश्रीनां आचरणो Bाएवां तो महान् , शुक, दृढ अने शौर्यवान् , हतां के तेनुं अनुकरण करवा शास्त्रकारो श्रापणने || जलामण करे अने ते कारणे तेऊनां श्रद्जुत, अलौकिक चरित्रो सुंदर गद्य अने पद्यमां संस्कृत, मागधी अने गुजराती नाषामा पोतानी विछत्ताथी रचता गया . जैन धर्म प्रतिपालक राजें कुमारपाल, महाराजा संप्रति, मंत्रीश्वर वस्तुपाल, तेजपाल अने धर्मचुस्त महाराजा श्रीपाल जेवा श्रावको क्या ले के जे जिनशासननी उन्नति माटे शक्ति अनुसार खपराक्रमवडे न्यायोपार्जित करेल अव्य वापरी वसुंधरा पर लीधेलो जन्म कृतार्थ मानता हता. तेमांना श्रीपाल महाराजानुं था पद्यरूपे चरित्र के अने ते चरित्रनी श्रीविनय विजयजीए पहेला बे खंग तथा त्रीजा खमनी चार पूरी श्रने पांचमी अधुरी दाल संवत् १७३७ मां रांदेर करेला || चोमासामा लखी अने चरित्र पूरुं कर्या पहेला ते कालधर्म पाम्या. त्यारपबी तेमनाज कहेवाथी । श्रीयशोविजयजीए था चरित्रनो उत्तरार्ध नाग संपूर्ण कस्यो ने. श्रीविनयविजयजी अने यशोविजयजी समकाले थया हता. विनयविजयजीए आशरे संस्कृतमां पांच अने, गुजरातीमां वीशेक ग्रंथ रचेल . यशोविजयजीनो जन्म संवत् १६७० नी आसपास होवो जोइए, पण ते संबंधी हकीशकत चोकस रीते मली शकती नथी. तेमणे लगन्जग १७७ ग्रंथो रचेला जे एम कहेवाय ने एटले || 2000 (बे लाख ) श्लोक बनाव्या . एवी रीते गुजराती भाषामां ग्रंथो लखीने गुर्जर बंधु उपर मोटो उपकार कस्यो बे. कोइ एम कदेशे के तेमना ग्रंथो जैन धर्मने लगता तो कहेQ CARACTERISTICA Sain Education Intematonal For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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