Book Title: Shraman Bhagvana Mahavira Author(s): Kalyanvijay Gani Publisher: Shardaben Chimanbhai Educational Research Centre View full book textPage 8
________________ प्रज्ञा का द्योतक है । उनके अनेकों ग्रंथ सूक्ष्म अध्ययन एवं गहन चिंतन के सुफल है । उनके अनन्यतम ग्रंथों का पुनः प्रकाशन हमारा कर्तव्य है। यह मान कर हमने इस कार्य का प्रारंभ किया था । प्रस्तुत योजना की चर्चा होते ही हमें पू. आचार्य देवश्री मुनिचन्द्रसूरिजी की प्रेरणा एवं मार्गदर्शन मिला । जिससे हमारे उत्साह में अभिवृद्धि हुई । इस अवसर पर आचार्यश्री का आभार ज्ञापित करते हैं । प्रस्तुत ग्रंथ के प्रकाशन में हमें श्री विमलनाथ जैन पेढ़ी (आहोर), श्री डीसा जैन श्वे. मू. पू. संघ (डीसा), महेता कमलचन्दजी मुलतानमलजी बंदामुथा (आहोर) अ. सौ. गुलाबबहेन भीकमचन्दजी शेषमलजी धनेशाबहोरा (आहोरवाला) का आर्थिक सहयोग मिला है, जिस के लिए हम उनके भी आभारी हैं । प्रस्तुत ग्रंथ के प्रकाशन में संस्थान के कर्मचारी एवं मित्रों का सहयोग मिला है, जिसका हम आभार व्यक्त करते हैं । हमें आशा है कि प्रस्तुत ग्रंथ के प्रकाशन से जिज्ञासुओं को और संशोधकों को लाभ होगा । अहमदाबाद, जितेन्द्र बी. शाह सन् २००२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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