Book Title: Shikshan Aur Charitra Nirman
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Vijaydharmsuri Granthmala

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Page 21
________________ ( १८ ) वे देशद्रोही नहीं हैं क्या? देश के शुभचिन्तकों का तो यही कत्तव्य है कि हमारी संस्कृति का रक्षण हो, हमारी बहन बेटियों का चरित्र पवित्र रहे, हमारे युवक उच्च प्रकार का अपना चरित्र निर्माण करके सच्चे महावीर, सच्चे नागरिक और सच्चे आदर्श पुरुष बनें, ऐसा कार्य करें। २-शीघ्रता से न हो तो धीरे-धीरे ही हमारे देश की शिक्षण संस्थाओं का परिवर्तन करना जरूरी है । प्रत्येक ग्राम में शिक्षण संस्थाओं के अनुपात में छात्रालय अवश्य हों। प्राचीन पद्धति के अनुसार नहीं तो, कम से कम प्राचीन और नवीनता का मिश्रण करके हमारी शिक्षणसंस्थाएँ निर्माण करनी चाहिएँ । शिक्षक भले ही भिन्न भिन्न विषयों के अनेक हों किन्तु उम्र और शिक्षण के लिहाज से विद्यार्थियों के विभाग करके उनका एक साथ रहना, एकसा खाना पीना, रहन-सहन, आदि हों, एवं एक ही वयोवृद्ध, ज्ञानवृद्ध अनुभववृद्ध, व्यवहारकुशल, संयमी, निर्लोभी अधिष्ठाता की देखभाल में उन विद्यार्थियों को रखा जाना चाहिए, और शिक्षण के अतिरिक्त समय के लिए उनका कार्यक्रम ऐसा बनाया जाना चाहिए कि जिससे उनका शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक विकास भी हो, उनमें अनेक प्रकार के गुण आवें और वे सच्चे नागरिक बनें। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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