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- खींच सकता क्या ? शिक्षक के ऊपर विद्यार्थियों की ओर से दो जवाबदारियां हैं । विद्यार्थियों को सुशिक्षित बनाने की और उनके चरित्र निर्माण की । 'शिक्षक' गुरू है, गुरू की 'गुरुता' के आगे शिष्य मस्तक झुकाए बिना न रहेगा । मेरा विश्वास है कि त्याग, संयम, वात्सल्य का प्रभाव दूसरे पर पड़े बिना नहीं रहता । आज छात्रगण अपने शिक्षकों को समझ गये हैं, उनकी बेदरकारी का उन को ख़याल है, उनके व्यसनों से वे परिचित हैं, उनके भ्रष्टाचार को वे स्वयम् अनुभव करते हैं, उनकी कत्तव्यशीलता वे अपनी आँखों से देखते हैं, उनका मिथ्याडम्बर, उनकी लोभवृत्ति, श्रीमन्त और निर्धन विद्यार्थियों के साथ होने वाली उनकी भिन्न-भिन्न मनोवृत्तियाँ इत्यादि प्रायः सभी बातें आज का विद्यार्थी प्रतिक्षरण, प्रत्यक्ष देख रहा है । हिंसा और सत्य, दया और दाक्षिण्य वात्सल्य और प्र ेम आदि का पाठ पढ़ाने के समय विद्यार्थी अपनी दृष्टि ऊँची नीची करके गंभीरता पूर्वक गुरूजी के हार्दिक भावों का पाठ पढ़ता है । विद्यार्थी उस समय क्या सोचता है ? " अभी कल ही तो मुझको पास कराने के लिए इन्होंने रुपये ऐंठे हैं। मैं कहीं से भी चुराकर लाया और दिये हैं। आज गुरूजी मामाणिकता और अप्रामाणिकता की फिलॉसोफी मुझे समझा
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