Book Title: Shikshan Aur Charitra Nirman
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Vijaydharmsuri Granthmala

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Page 33
________________ ( ३० ) कर्तव्य-पालन नहीं करते तो समाज की प्रगति हो नहीं सकती, परिवर्तित परिस्थितियों में अब शिक्षकों का यह अति महत्त्व पूर्ण कर्तव्य है कि वे प्रजातन्त्रीय देश के उपयुक्त नागरिक निर्माण करें । इनका काम विषयों का अध्यापन मात्र नहीं है, हम केवल पाठक ही नहीं बल्कि शिक्षक भी हैं, उसका क्षेत्र बालक का सम्पूर्ण जीवन है और हमें बालक के समग्र व्यक्तित्व का निर्माण करना है, इसका अर्थ यह है कि हमें बालकों के चरित्र को भी एक स्वतन्त्र देश के अनुरूप बनाना है" थोड़े किन्तु महत्वपूर्ण शब्दों में शिक्षकों के कर्तव्य का जो चित्रण अनुभवी शिक्षासचालक महोदय के द्वारा उपस्थित किया गया है, उसके प्रति हमारा प्रत्येक शिक्षक ध्यान दे और उसके अनुसार कर्तव्य पालन करे, तो आज शिक्षा संस्थाओं में स्वर्ग उतर पड़े । हमारे बालक मानव-देव बनें । इसलिये सरकार से भी मेरा यह अनुरोध है कि शिक्षकों के उत्पन्न करने के लिए जो-जो ट्रेनिंग स्कूल खोले जायँ उनमें पाठ्य-पुस्तकों और पढाने की रीति के साथ एक 'शिक्षक' किया 'गुरू' की हैसियत से उनमें किन-किन गुणों की आवश्यकता है, इसका भी अवश्य ध्यान रक्खा जाना चाहिए । प्रत्येक शिक्षक में सत्यभाषण, सदाचार, प्रामाणिकता, नव्रता, विवेक Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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