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जो कार्य होंगे, वे देश के लिए अधिक लाभप्रद और कार्यसिद्ध-कर हो सकेंगे । मेरे नम्रमत से ऐसी संस्थाएँ, फिर वे गुरुकुल हों या विद्यालय, महाविद्यालय हों चाहे बालमंदिर कोई भी हों, सरकार को कम से कम पचास प्रतिशत व्यय देने का नियम रखना चाहिए। किसी विशेष परिस्थिति में सरकार पचास प्रतिशत से अधिक देकर भी उसको आगे बढ़ा सकती है | बल्कि सरकार को ऐसी संस्थाओं को अधिक प्रोत्साहन देकर उन्हें भारतीय संस्कृति का केन्द्र बनाना चाहिए । ऐसी स्वतंत्र संस्थाओं का सरकार की ओर से निर्माण करने में सरकार को अधिक व्यय, अधिक परिश्रम और अधिक समय लगने की स्वाभाविक संभावना है । ऐसी अवस्था में सारे देश में, ऐसे जो-जो गुरुकुल, आश्रम, विद्यालय, महाविद्यालय हों, उन्हीं को आगे बढ़ाकर नवनिर्माण का कार्यारंभ करना चाहिए ।
शिक्षण और चरित्र निर्माण के विषय में मैंने अपना नम्र अभिप्राय ऊपर प्रकट किया है । आशा है शिक्षाके अधिकारी एवं शिक्षा से प्रेम रखने वाले महानुभाव इस पर गौर करेंगे ।
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