Book Title: Shikshan Aur Charitra Nirman
Author(s): Vidyavijay
Publisher: Vijaydharmsuri Granthmala

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Page 24
________________ ( २१ ) नहीं होता है बल्कि उससे विपरीत अनेक अरुचिकर विषयों का भार होने के कारण, फुटबाल, बाली बाल, टेनिस, क्रिकेट, हाकी, कबड्डी, खो-खो आदि अनेक खेलों के और मनोविनोद के साधनों के रहते हुए भी, आज का विद्यार्थी शारीरिक और मानसिक शक्तियों में इतना निर्बल रहता है कि, जिसके वास्तविक स्वरूप को देखने से दया उत्पन्न होती है । शारीरिक व मानसिक निलताओं में आजकल के वैषयिक प्रलोभन भी कारण हैं, जिनसे उनकी मनोवृत्तियाँ शिथिल सत्व-विहीन रहती ४-इसी विषय के साथ संबंध रखने वाली बात • पाठ्यग्रन्थों की भी है । पाठ्यग्रन्य भी उम्र और बुद्धि को लक्ष्य में रखकर के निर्धारित किये जाने चाहिएँ । पुस्तकें, यह विद्यार्थियों के लिए रात दिन की साथी हैं । इसलिए पुस्तकें ऐसी होनी चाहिए, जिनसे कि विद्यार्थियों को चरित्र-निर्माण में अधिक सहायता मिल सके । अक्सर देखा गया है कि, सातवीं कक्षा तक पहुँचे हुए विद्यार्थियों को न तो शुद्ध पढ़ना ही आता है, न शुद्ध और सफ़ाई से लिखना। इसक कारण में पढ़ाने वाले की न्यूनता हो सकती है. किन्तु बुद्धि और उम्र का ख्याल न रखते हुए पाठ्य-ग्रन्थों का निर्धारित किया जाना भी एक कारण Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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