Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 12
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
View full book text
________________ // 36 // // 37 // // 38 // // 39 // // 40 // // 41 // सत्थत्थपारगेहि पहाणवग्गेहि ओसहाईसु / सम्मं पउंजिएसु न नियत्तइ जा सिरोवेयणा मरणावसाणमेयं जायमिइ निच्छयं मणे काउं। वाहरिया कडगाइ समप्पिया बंभदत्तस्स जह सयलकलाकुसलो पावियनीसेसरज्जपब्भारो / जायइ सुओ ममेसो तह कायव्वं ति वाहरिया तत्तो कमेण पत्ते परलोयपहम्मि बंभनरनाहे / मयकज्जेसु कएसुं सव्वेसु जणप्पसिद्धेसु ते रज्जकज्जसज्जं संठावित्ता य तत्थ दीहनिवं / कड़गाइ तिण्णि निवासं पत्ता निययरज्जेसु चुलणीए दीहस्स य दोण्ह वि कज्जाइं चिंतियंताण / सीलवणदहणपउणो जलणो व्व पवडिओ मयणो अगणियकुलमालिण्णा चुलणी चडुलत्तणेण चित्तस्स / दूमज्झियजणलज्जा रजित्था पावदीहम्मि . इयरो उण छिद्दरओ कुडिलगई विसयगिद्धविसपुण्णो / चुलणीए रतत्थो संजाओ दीहपिट्ठो व्व नायं नीसेसमिणं चरियं चुलणीइ सीलभंगफलं / घणुणामच्चेण चिंतियं च नो कुमर कुसलं खु भणिओ य वरधणूणा पुत्त ! कुमरस्स अप्पमत्तेण / कज्जा सरीररक्खा णो जणणी सुंदरा जेण समए य माउचरियं जाणावेयव्वओ तए सव्वं / जेण न पावेज्ज इमो उवद्दवं केणइ छलेण उवलद्धे जणणीए चरिए तो तिव्वअमरिससण्णाहो। कुमरो कालवसेणं संजाओ जुव्वणाभिमुहो // 42 // // 43 // // 44 // // 45 // // 46 // // 47 // 290

Page Navigation
1 ... 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382