Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 12
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 305
________________ // 24 // // 25 // // 26 // . // 27 // // 28 // // 29 // ते पंच वि रायाणो बंभाइया परूढपणयवसा। विरहं अणिच्चमाणा परोप्परं एवमाहिसु . पत्तेयं पत्तेयं पंचसु रज्जेसु वरिसमिक्किकं / नियपरिवारजुएहि जुगवं चिय संवसेयव्वं वोलंति मियकाले केवइए दूरपणयमाणाणं / बहुपुण्णपावणिज्जं भोगसुहं भुंजमाणाणं अहमण्णया कयाइ रयणिए मज्झभागसमयम्मि / चुलणी अइपुण्णफला चउदससुमिणाई पिच्छेइ गयवसहसीहअभिसेयदामससिसूरमंडलपडायां / कुंभो सरजलनिहिणो विमाणवररयणगणसिहिणो तक्खणमेव पबुद्धा सा मुद्धा कहइ बंभनरवइणो। सामि ! मए रयणीए चउदससुमिणा इमे दिट्ठा राया रंजियहियओ? धाराहयनिवकुसुमरोमंचो / फुलिंदीवरनयणो भणइ इमं देवी ते होही अम्ह कुलकप्परुक्खो कुलज्झओ कुलपईवसंकासो। महीमंडलमउलमणी गुणरयणखाणी सुपुत्तो त्ति साहियणवमासंते संतेसु य वाउधूलिडमरेसु। उज्जोइयकक्कुहचक्को जाओ तणुओ कयचमक्को वद्धामणयाएसु विहिएसु विहियसूयकम्मेसु / समयम्मि तस्स णामं विणिम्मियं बंभदत्तो त्ति सियपक्खसोममंडल-मिव वुड्डि एस लद्धमारद्धो। लच्छीनिवाससिरिवच्छ-लच्छवच्छच्छलप्पएसो .. कत्थइ समए कडगा-इएसु पत्तेसु बंभनिवपासे / बंभस्स सिरोरोगो जाओ दावियसुयणसोगो // 30 // // 31 // // 32 // // 33 // // 34 // // 35 // 26

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