Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 12
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ // 40 // संखोहं पुत्त ! कुणंति ते परं कलासु जे न वियड्डा / तुम्हसरिसाणं स कहं ? अकलंककलागुणनिहाण ! // 39 // इय भासिओ वि घिट्ठिम-मवलंबिय सो मणागमवियट्टो / कहमवि गिण्हेइ धणुं पकंपिरेणं करग्गेणं सव्वसरीरायासेण कहमवि आरोहिऊण धणुदंडं। जत्थ य तत्थ य वच्चओ मुक्को सिरिमालिणा बाणो // 41 // थंभे अब्भट्टित्ता झडि त्ति सो भंगमुवगओ य तणु / लोगो कयतुमुलरवो निहुय हसिउं समारद्धो // 42 // एवं सेसेहिं वि नर-वइस्स पुत्तेहिं कलाविउत्तेहि / जह तह मुक्का बाणा न कज्जसिद्धी परं जाया // 43 // लज्जामिलंतनयणो वज्जासणिताडिउ व्व नरनाहो / विच्छायमणो विमणो सोगं काउं समाढत्तो // 44 // भणिओ य तत्थ चेडी-सुएहिं किं ? सोयमित्थ कज्जेसु?।। अग्गियपव्वयबहुली-सागरणामाण उद्वेत्ता // 45 // थंभसगासे चउरो आगया जाव ताव करकंपो। एगस्स सरो भग्गो अण्णस्स य चित्तविक्खेवो // 46 // दिसिमूढो तह तइओ जाओ भमदिट्ठिओ अह चउत्थो। / अण्णे सव्वे वि निवा हसंति तह इंददत्तनिवं तं पासिऊण राया विसायचित्तो विउत्तमूढमई / लज्जाए धरणियलं पविसिज्जमाणो पलोइअहं // 48 // भणिओ य अमच्चेण देव ! विमुंचह विसायमण्णो वि। अत्थि सुओ तुम्हाणं ता तं पि परिक्खण इयाणि // 49 // सुणगाणं सीहाणं कज्जे पडिए अ अंतरं लहए। भिदइ गयवरकुंभाइ मुत्ताहलपूरियकरग्गो // 50 // // 47 // ઉRG

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