Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 12
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ // 8 // // 10 // // 11 // // 12 // // 13 // जे दव्वभावगाहगसुद्धं दाणं तु देति साहूणं। ते पावंति नरामरसुक्खाइं सालिभद्दु व्व / दाणंतरायदोसा भोगेसु वि अंतराइयं जाण / पायसविभागदाणा निदंसणं इत्थ कयउन्नो धन्नाणं दाणाओ चरणं चरणाओ तब्भवे मुक्खो। भावविसुद्धिए दढं निदसणं चंदणा इत्थ जं दव्वभावगाहगसुद्धं इह मोक्खसाहगं दाणं। .. इहलोगनिदाणाओ तं हणई मूलदेवु व्व भावं विणा वि दितो जईण इहलोइयं फलं लहइ। वेसालिपुन्नसिट्ठी सुंदरि साएयनयरम्मि. दाणं विणा वि दितो भावेणं देवलोगमज्जिणइ / वेसालिजुनसिट्ठी चंपाए मणोरहो नायं अणुमन्नंति जईणं दिज्जंतं जे उ अन्नलोएणं / सुरलोयभायणं ते वि हुंति हरिणुव्व कयउन्ना दाऊणं पि जईणं दाणं परिवडइ मंदबुद्धीणं / घय 1 वसहि 2 वत्थदाया 3 नायाइं इत्थ वत्थुम्मि अणुगिण्हंति कुचित्ते भावं नाऊण साहुणो विहिणा। जह सीहकेसराणं दाया रयणीए वरसड्ढो जिणसासणावराहं गृहेउं सासणुन्नई कुज्जा / नायाई इह सुभद्दा 1 मणोरमा 2 सेणिओ 3 दत्तो 4 केइ पुण मंदभग्गा नियमइउप्पिक्खिए बहू दोसे। उब्भावंति जईणं जय 1 देवड 2 दुद्द 3 दिटुंता . दोसे समणगणाणं अन्नेणुब्भाविए वि निसुणंति। जे ते वि कुगइगमणा कोसियकमला इहं नायं // 14 // . // 15 // // 16 // // 17 // // 18 // // 19 // 3yo

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