Book Title: Shanti Pane ka Saral Rasta
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 6
________________ भूमिका आधुनिक जीवन की जटिलताओं के चलते ध्यान तनाव - मुक्ति के लिए एक सशक्त साधन के रूप में उभरा है, जो न सिर्फ व्यक्ति को उसकी पारिवारिक, सामाजिक एवं आर्थिक समस्याओं का सामना करने की शक्ति प्रदान करता है, बल्कि उसे सार्वभौम अस्तित्व से जोड़कर आत्म-विकास में भी सहायता देता है । “ - - भीतर एकाग्रचित्त होते ही एक विस्फोट होता है आनन्द का ।' वो आनन्द का झरना जो अपने ही भीतर है, प्रस्फुटित होने लग जाता है। बाहर की दुनिया की बड़ी से बड़ी ख़ुशी हमारे भीतर उस आनन्द का विस्फोट नहीं कर सकती, जो विस्फोट ध्यान में गहरे उतरने से होता है । आनन्द का यह विस्फोट हमारे राग और द्वेष को अज्ञान के अंधकार को नष्ट करके हमारी छोटी सोच और छोटे दिल को बड़ा कर देता है । , वर्तमान में अनेक धर्मगुरु इस पवित्र कार्य में तत्पर हैं। सर्वश्रद्धेय पूज्य श्री चन्द्रप्रभ जी वर्तमान की वह विभूति हैं जो सरल, सहज और शांतिपूर्ण ढंग से ध्यान की बहुत-सी प्राचीन एवं नई विधियों द्वारा हजारों-लाखों व्यक्तियों को ध्यान और शांति के रस की अनुभूतियों से विभोर कर रहे हैं । यह हमारा सौभाग्य है कि पूज्यश्री जैसे प्रतिभाशाली एवं जीवन्त सद्गुरु अपनी आध्यात्मिक ज्योति द्वारा जोधपुर में संबोधि - धाम जैसी पवित्र साधना-स्थली को प्रकाशित कर रहे हैं । प्रस्तुत पुस्तक में पूज्य गुरुदेव ने अपने हृदय की ऊर्जा देकर मानो भगवान महावीर एवं गौतम बुद्ध के शब्दों को पुनर्जीवित किया है। उनका यह Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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