Book Title: Selections in Arddhamagadhi For SSC Examinations
Author(s): Venus Book Stall
Publisher: Venus Book Stall

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Page 18
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सो वि य तहेव खड्डाएँ एंतओ तेहिं रयगचूडेहिं । दिट्ठो गहिओ बद्धो कहिए मुक्को य सम्भावे ॥ भणिओ य हियट्टाए जइया दीसइ इमेरिसं तइया । होउ ह सुद्धं खारो पडउ य ' एवं ' ति भणिऊण || पुणो नगराभिमुहो पट्टिओ। पेच्छइ य मंगलसएहि वप्पिणं करिसगेहि वुप्पंतं । भणियं च तहा बद्धो मुक्को कहिए य परमत्थे । भाणिओ य भणेज्जसु एरिसम्मि भांडं भरेह एयस्स । बहुयं च होउ एयं पुणो पुणो एरिसं तुम्हें ॥ 'एवं होउ' त्ति पुणो पट्ठिओ। पेच्छइ नगरदुवारे मयगं नीणिजमाणमिइ भणिए । बद्धो, कहिए मुक्को, भणिओ य भणिजए एवं ।। एएण एरिसेणं कजेणं होउ मे विओगो त्ति । मा एरिसयं कजं पावेजह अन्नजम्मे वि ॥ तओ ‘एवं' भणिऊण नगररच्छाए हत्थिक्खंधवरगयं दळूण वहूवरं विभूईए । गच्छंतं झडिकाहलसद्देणं सो तयं भणइ ।। एएण एरिसेणं कजेणं होउ मे विओगो त्ति । मा एरिसयं कजं पावेजह अन्नजम्मे वि ।। बद्धो कहिए मुक्को भाणिओ य हियट्टयाएँ सो तेहिं । मूढ भणेज्जसु एवं 'दिणे दिणे होउ भे एयं ॥ For Private And Personal Use Only

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