Book Title: Selections in Arddhamagadhi For SSC Examinations
Author(s): Venus Book Stall
Publisher: Venus Book Stall

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Page 37
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ... ३२ ... सा तत्थ विमाणस्था हीरंतं जाणिऊण अप्पाणं । घणसोगवसीभूया कुणइ पलावं जणयधूया ॥ ४३ ।। -विमलसूरिकए पउमचरिए चउत्तालीसं पव्वं । -पउमचरिय ४४. ३. चत्तारि पुत्ता। इह आसेि कत्थ वि पुरे निवमंतीसेट्ठिसत्थवाहाण । पुत्ता पवित्तचित्ता चत्तारि कलाकलावविऊ ॥ १ ॥ अन्नोन्नदढप्पणया पत्ता तरुणत्तणं जणमणुण्णं । खणमेत्तं पि न विरहं सहति तत्तिं चिय वहति ॥ २॥ पभणति अन्नया ते परोप्परं एकमाणसा होउं । किं सो वि नरो गणणं लहेइ जणमज्झयारम्मि ॥ ३ ॥ जेण न अप्पा देसंतरम्मि गंतूण तोलिओ होइ । को मे कज्जारूढस्स अस्थि सामथसंजोगो ॥ ४ ॥ नियसामत्थपरिक्खाहेउं चलिया पभायसमयम्मि । नियतणुमेत्तसहाया एगं देसंतरं सव्वे ॥ ५ ॥ पत्ता दिणद्धसमए एगम्मि पुरे अणायकुलसीला । ओइण्णा कत्थइ देवभवणट्ठाणे अइपहाणे ॥ ६ ॥ कह अज्ज भोयणं होहि त्ति भणिराण सत्थवाहसुओ। अज्ज मए भो भोयणमुप्पाइय देयमिइ भणइ ॥ ७ ॥ For Private And Personal Use Only

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