Book Title: Scientific Secrets of Jainism
Author(s): Nandighoshvijay
Publisher: Research Institute of Scientific Secrets from Indian Oriental Scriptures Ahmedabad

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Page 135
________________ Jain Education International DOI For Private & Personal Use Only राइर्षमानवितन हम्सउपरिमाणे सरिव ऊतिकाडिवरका व्यवसहस्सा बाधवावासाका स्थापना २५६POppo पर मितिएवगिर्वन्यायनसंरखास्लानमुतारानवहितांगंटितमित्यादिनदंगाणातदात्पादिसदिसरयाक सात अयमाशयक घननिदिश्यमानानिय संख्यास्ठानानिलाध्वप्रधानमणमादनाचदसूत्रवाहियाणकारतमजनताचशानियकारस्पानरामावा नवाआधबाराष्ट्रसंस्कारमात्रंटिनांगरंटित २ अडांगर सूचवांगेर अवं २कांगंजक २ उपलोग उत्पनं २ मांग पत्र नलिनांगमालिने अनिष्पराग अनपरंतगरतनानागानयुते २५युनागेशनलि एवंविरगविणवउडिए २ अडाइ २ अवाव २१ ५२३माल २५३मलिाग २ अलिपिउR२ ३९२ न३५२५३१२लिए २ जावच्चरामा सामयादलिग सयसम्माईसाएगमासयादलिया। कांगलिक शार्षपलिकाय यादवरातिका पदालिकागजातसहस्राणि यानिसाएकाशापालिका २७ स्पास्लाफ्नायघा ५८२६३२५३३२४५५५५५२५६ एलएRIGHUD८३२९६ प्रतिद:ऐचार दका प्यचचवारिवाशपात ताददंगाशहलिकायोसएिपमूनिवदित्यधिकवातसंख्याएकाठानानितर्वतिदेचमापुरवा चनानुगतानायागारादिसंवादिसंख्यासमनपतिपादनाड्या तिकडपका कनसतिसंवदंवि परेनविविक्षिसितवालयवाचना गतवानस्पत्तवति हिवाचनातादसूत्रपागसदलित संवादिनविशदलिकोकस्ठापनावरुपयायचा. २८.७ एयपाएप०५ २५५५४रएVECOR२४२० 990ए सए४२६२९999४७६३७२५५३७५०६७१६.तिसप्ततिरंकायचांगाता धिकपात तदवाळपातिकसक्तमार्षपालिकायापंचाशदधिकशतएरव्यापकस्मननित्तवति वाकवालानाखिंदा तश्रीमंताजनुक्षरदेवादिदातिवितायतधिनिधार शिविजमनापाति A page from a manuशशिस्वाक्षिय तक्षामंतिषदामबिलशिष्यसमुदायमरसतादयता यसकार्यकर्याणां script of Jambūdvipaपडितवररनचंडा भातगणवीगिरिमोहदिनयासनसरिवार निजदासनवितालात परमायियमादयारः बहुतिसमतिये रुतावदाविदिनसमयतचा शाजियादवमरि prajñaptisūtra written in ओवाचक मुरबगीनोई:४६जानावधामयानि नानाशापूरवनानिारयासिलिशावास्यवि ज्ञानणिराः श्राजलक्षात रुपांगस्यसविनय शमयरनमाषाहतिरषावाद सपना। 1663 of Vikram Era, menघरभागनिवाचकशिष्यवाराविभत्र दलिः अस्याबदादानिलालिबइक्किा तमनासस्वायमानायूर्यमाणा गाना याक्षकानमःमानालरव्यमाना जा tioning both the variations यामुासचिराकवि तहिाध्याय of Sirsaprahelika, the anयथालिवकलाइधुतःकारान्य मादशमवाधीववसनश्वरः५१ मिश्रा वनिचंद्रगतिवाचकवरविरचिताया-श्रीले दायश्वमिहान शनिवार cient highest numerical सवन्नावर्षमुलाशयारपरप्रवर्तमान दक्षाय नगाजश्रीमदमझाना महामा गल्पपदमार्य गर्घमासकपक्षमसिमायातियो गुरुवामारमगशरनवंतदिनपरिमल value. नबितमसिलन्यान मुंदाराआत्म.लक्ष्मी.हषगरुमीप्रेमविजयजीमना माध्यमुनिश्रीमानजियजीपनार्थ श्रीसंघस्य शान्तिन्मयतुःसी [Curtsy : L. D. Institute स्स्तु-श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री भी श्री श्री श्री of Indology, AhmedabadMananmintamaniawaamana 380009] www.jainelibrary.org Scientific Secrets of Jainism

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