Book Title: Savay Pannatti
Author(s): Haribhadrasuri, Balchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 244
________________ २०२ श्रावकप्रज्ञप्तिः [३३० त्रयस्त्रिकास्त्रयो द्विकास्त्रय एककाश्च भवन्ति योगेषु कायवाग्मनोव्यापारलक्षणेषु । त्रीणि द्वयमेकं ३ चैव करणानि मनोवाक्कायलक्षणानीति पदघटना। भावार्थस्तु स्थापनया निर्विश्यते । सा चेयं योगाः ३|३|३|२|२|२|१|१|१| करणानि ३ |२|१|३|२|१|३|२|१| १|३|३|३|९/९/३/९/९ कात्र भावना? न करेइ, न कारवेइ, करंतंपि अन्नं न समणुजाणइ मणेणं वायाए काएण । एको भेओ इयाणि बिइओ-ण करेइ, न कारवेइ, करंतपि अन्नं न समणुजाणइ मणेणं वायाए एक्को ३, मणेणं काएण ३, तहा वायाए काएण; बीओ मूलभेओ गओ ।२। इयाणि तइयओ-ण करेइ ण करावेइ करतं पि अन्नं न समणुजाणइ मणेणं ६, वायाए ३, काएणं ॥३॥ इदानी चतुर्थः-न करेइन कारवेइ मणेणं वायाए काएणं है,ण करेइ करंतं पि नाणुजाणइ २, णे कारवेइ करतं पि नाणुजाणइ तइओ 3; चउत्थो मूलभेओ।४। इदानी'° पंचमो-न करेइ न कारवेइ मणेणं वायाए एक्कोन' करेइ करतं नाणुजाणइ ३, कारवेइ करतं नाणुजाणइ एए । तिन्नि वि भंगा मणेणं वायाए लद्धा। अन्ने वि तिन्नि मणेणं काएण य एवमेव ramin विवेचन-अभिप्राय यह है कि प्राणिघातादिका जो प्रत्याख्यान किया जाता है वह तीनों योगोंसे, दो योगोंसे और केवल एक योगसे भी किया जाता है, किया व कराया जाता है तथा करने व कगनेके साथ अनुमोदन भी किया जाता है। इस प्रकारसे उस प्रत्याख्यानके भंग ( भेद ) उनचास हो जाते हैं जो निम्न संदृष्टि या स्थापनासे जाने जा सकते हैं योग | ३ | ३ | ३ | २| २ | २ | १ | १ | १ | करण । ३ | २ | १ | ३ | २ | १ | ३|२|१| | भंग १ ३ | ३ | ३ | ९ | ९| ३ | ९ | ९ | ४९ उनका उच्चारण इस प्रकारसे किया जा सकता है-१ मन, वचन व कायसे न करता है, न कराता है और न करते हुए अन्यका अनुमोदन करता है। २ मन व वचनसे न करता है, न कराता है और करते हुए अन्यका अनुमोदन करता है। ३ मन-कायसे न करता है, न कराता है, न करते हएका अनुमोदन करता है। ४ वचन-कायसे न करता है, न कराता है, न करते हएका अनुमोदन करता है। ५ मन से न करता है, न कराता है, न करते हुएका अनुमोदन करता है। ६ वचनसे न करता है, न कराता है, न करते हुएका अनुमोदन करता है । ७ कायसे न करता है, न कराता है, न करते हुए का अनुमोदन करता है। ८ मन-वचन-कायसे न करता है, न कराता है । ९ मन-वचन-कायसे न करता है, न अनुमोदन करता है । १० मन-वचन-कायसे न कराता है, न अनुमोदन करता है । ११ मन-वचनसे न करता है, न कराता है । १२ मन-वचनसे न करता है, १. मेकं चैव। २. अ'योगाः कारणानि' नास्ति । ३. अभेओ इयाणि । ४. अ एक्को मणेणं । ५. अ मणकाएण २ तहा। ६. अ वायाए काएण २ वीओ। ७. अ मणेणं १ वायाए २ काएणं ३ इदानीं । ८. अकाएणं ण । ९. अ नाणुजाणइ २ ण । १०. तईय चतुर्थो मूलभेउ इदानीं। ११. अ एक्को न । १२. णाणुजाणइ न। १३. अ णाणुजाणइ ३ एए।

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