Book Title: Savay Pannatti
Author(s): Haribhadrasuri, Balchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
View full book text
________________
२५०.
उत्कृष्ट स्थिति
उत्तम पुरुष
उत्तर गुण
उत्तर गुणश्रद्धा उत्तर प्रकृति
उत्तरापथ
उत्सर्गब्रह्मचारी
उदय
उदयावलिका
४४
उदासीन
१८७
उदीर्ण
૪૪
उदीर्णक्षय
४४
उदीर्णोपशम
૪૪
उद्गमादि दोष
३२५
उद्योत नाम
२२
उपक्रम १५२ - १५४,१९३, १९५,
१९७, २०४, २०८
१९५
१९८, २२१
२०४
२००
२१
४४, ५०, ६१
५२
૪૪
७६
उपपात ७०-७१, २९९, , ३०१ उपबृंहण ९४, ३४२
उपभोग
२६, २८४
उपभोगान्तराय
२६ ४३-४५, ५३
४५
उपक्रमकर्मभोग
उपक्रमण
उपक्रम प्रायोग्य
उपक्रमहेतु
उपघातनाम
उपचार उपदेशरुचि
उपधान
उपधि
२७, ३३
७४
६, १०६, ३२६
१०५
११
२८८
३५५
६२, ३०४
उपशम
उपशमक श्रेणि
उपशान्त
४४, ४७
उपशान्तमोह ३०७, ३०९
२०
५२
६०
७२
उपाङ्ग
उपाधि
उपार्ध पुद्गपरावर्त
उपार्ध पुद्गलपरिवर्त
श्रावकप्रज्ञप्तिः
उपासक
उपासक प्रतिमा
ऊर्जन्त
ऋद्धिप्राप्त
ऋषि
ऐहलौकिक
ओजाहार
ओघ
[ ऊ ]
एकभवमोक्षायी
एक सिद्ध
एकान्त नित्य
एकेन्द्रियत्व
एषणा
[ ऋ]
[ ए ]
कन्यानृत
कपिल
करकण्डु
करण
करणकर्तृ
कर्तृभाव
[ ए ]
[at]
[ ओ ]
३२८
३३५
[क]
कणभक्ष (कणाद )
कनकावली
कन्दर्प
२८३
२९२
३५२
७३
७७
१८३
२०
२९२
६८
३८, ४२-४३,
५२, २५३
३२४
औदfre
२०, ४४, १९७
औदारिक
७२, २७० औपशमिक ४३, ४५-४७, ५१
८७
८७
२९१
२६०
८७
७६
३३०
१८६.
१४५
कर्म
कर्मक्षपण
कर्मक्षपणक
९७
कर्मक्षय १३९ - १४०, १४२ - १४३
कर्मपुद्गल
३९-४१
प्रकृतिसंग्रहणी
कर्मबन्ध
कर्मबीज
कर्मभाव
कर्मभूमिज
कर्मोपक्रमभाव
कला
कल्पनीय
कल्लावालगत्तण
कषाय
कषाय वेदनीय
कायवध
कायिकभूमि
कारक
कारक सम्यक्त्व
कारित
'कार्मणशरीरयोगी
काल
कालचतुर्दशी
काश्मीर
कांक्षा
कोति
कुमारामात्य
कुमारानृत
कुम्भ
कुल
कुलवर
कुलादि
कुलिङ्गी
कुवादी
कु शास्त्र भावना
कुष्ठ
कूटयन्त्र
९, १९ ९७, १३८
९
१४२
३९६
१४५
७५
२३३
२६९
३२५
०८८
३०४
१६
३४५, ३४९
३२३
४३
४९
१४४
६९
१९७, ३२५
९३
१५३
५९, ८६-८७
२४
२९१
२६१
३५-३७
३५७
२४९
२४८
२२३-२२४
२५६
२३१
१०३
२५२

Page Navigation
1 ... 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306