Book Title: Savay Pannatti
Author(s): Haribhadrasuri, Balchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 285
________________ मूल-गाथागत शब्दानुक्रमणिका (संस्कृत) २४३ तत्त्वार्थ ८२ तडागशोषण २८८ ६२-६३ तप तस्करयोग ७०-७१,७३ तिर्यक्प्रमाणातिक्रम २८३ तिर्यगायु २६८ तिर्यक् -७४ तीर्थ केशकर्म २८७ कोत्कुच्य २९१ क्रम ३२५ क्रोध क्लिष्ट बन्ध २३१ क्षय १५८, १९७, २१९, ३८९ क्षयोपशम ४४, ५१, १९७ क्षायिक ४३, ४८ क्षायिक भाव क्षायोपशमिक ४३ क्षीण क्षीणमोह ३०७ क्षेत्र २७६ क्षेत्रवृद्धि २८३ [ग] गति २०, १९८, २९५, ३०३ गन्ध २१ गर्भज ७० गाथा २७५ गुण २८२, ३६३ गुणभाव २८४ ६,२८०, ३२८ चतुर्दश पूर्व चतुर्विध आहार चरण २१८-२१९ चरणक्षय ३९० चरणपरिणाम ३६३, २८१ चरणमोह ३७७ चरणोपशम ३९० चरमशरीर चाणक्य चारित्रमोहनीय १५-१६ चिन्ता चेतना १८८ चैत्य ३४४, ३६६, ३७३ चैत्यगृह चैत्यवन्दन ३४३, ३५४, ३६५ चैत्यवन्दनादि ३४१ [छ] छद्मस्थ २०७ छविछेद २५८ त्रस तीर्थकर २४,७६, ३५१ तीथंकरभक्ति १०५ तुच्छौषधिमक्षण २८६ २२, १२९ सकाय असप्राणघातविरति ११९, १२१ असभूतप्राणविरति १२२ सरक्षण त्रिगुप्तिगुप्त त्रिविध आहार २५९ [द] दन्तकर्म गुणव्रत गुप्ति ३४९ जन्म ३९४, ३९७ जरा ३६०, ३९४,३९७ जाति २०, ३५७, ३६०-३६१ जिन जिनधर्म ३८८ जिनपूजा जीव ९, ६३ जीवसमास ७७ जीविताशंसाप्रयोग जुगुप्सा ज्ञान २३२, ३६३ ज्ञानावरण ९.१०, ९८ ज्ञानावरण क्षयोपशम ज्ञानी १५९ दर्शन दर्शनचतुष्क दर्शनमोह दर्शनमोहनीय दर्शनावरण दवदान दानान्तराय दिव्रत दिशा दीक्षा दीपक सम्यक्त्व दीर्घायु दुर्भग दुष्पक्व दुष्प्रमाजित गृहपतिसुतचोरग्रहण मोचना गृहस्थधर्म ३८२ गृहिप्रत्याख्यान ३२९ गृहिलिङ्ग गृही ३४७, ३५०, ३६५,३८४ गो-अलीक २६० गोत्र ११, २५, २९-३० ग्रन्थि प्रन्थिभेद ग्रहणरूपा शिक्षा [] घर्षण-घूर्णन ३ २८० - १८ ३७७ २३ २८६ ३२१ १०३ शषज्ञातधर्म

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