Book Title: Sanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 03
Author(s): Yudhishthir Mimansak
Publisher: Yudhishthir Mimansak

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Page 232
________________ बारहवां परिशिष्ट .२२१ जामदग्न्य राम, परशुराम I. १०१.५।२१५,१६ । ..... जाम्बवती (श्रीकृष्ण पत्नी)-I: २५८,१८ । II. ४६४,१५ । __III. ६२,३।१८८,२१। जायसवाल I. ४६३,२६ । : ... जार्ज कार्डोना III. १०६,३।१०३,२४०१११,१०।१२०,२५॥ १२२,२८।१२३,३। जालकाक (जानकक, पाठा०) II: ४२५,७-८ । . जालानन (?) H. ४२५,११। । जालन्धर I. ५५६,१११५५९,७। जिज्ञासुस्मारक पाणिनि कन्या महाविद्यालय (वाराणसी) I. ५१२,६ । जिनप्रबोध सूरि I. ६४५,२३ । जिनप्रभसूरि' (कातन्त्रविभ्रमकार) I. ६४१,१३॥ जिनप्रभसूरि' कातन्त्रपञ्जिका व्याख्याकार I. ६३७,२५ । जिनमण्डन गणि I. ७०१,१८ । जिनरत्न (द्र०-जिनेन्द्र) जिनविजय (मुनि) I. ६७२,१ । III. १७४,१६ । जिनसागर I. ७००,५। जिनसिंह II. २६६,२३। जिनेन्द्र (जिनरल) I. ७१५.५। जिनेन्द्र, जिनेन्द्र बुद्धि (न्यासकार) I. ११६,१६।१४६,१०।१८०, १६।२२८,९।३००,२१३३०७८ इत्यादि। II. ३,२२६ १॥ ४०,२१।१५२०१७।१५३,२५ इत्यादि । III. १२३,२२ । जिनेश्वर सूरि* I. ६४०,१३।६४५,२५२६६२,१७। जियालाल III. १५३,१११५५,१६४१५७,१ । जीवक (प्रायु० काश्यप संहिता का परिष्कर्ता) I. ३७३,१७ । - जीवगोस्वामी ७२३,२१ । १. सम्भव है ये दोनों नामों से एक ही व्यक्ति का निर्देश होवे। २. आगे उद्धृत तीनों स्थलों पर निर्दिष्ट एक व्यक्ति है या भिन्नभिन्न । यह विवेचनीय है।

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