Book Title: Sanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 03
Author(s): Yudhishthir Mimansak
Publisher: Yudhishthir Mimansak

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Page 286
________________ बारहवां परिशिष्ट विनयसुन्दर (मेघरत्न का गुरु ) I. ७११,२३। विनयसुन्दर' (भोज व्या० कर्त्ता) I. ७२३, १७ विनायक ( रघुनाथ का पिता ) I. ७११,१५ । विनायक ( भावसिंह- प्रक्रियाकार) I. ७२३, १८ विनीतकीर्ति (व्याकरणकार) I. ६०६,२० विन्ध्य ( विन्ध्याचल ) I. ३२४,६। विन्ध्यनिवासी, विन्ध्यवासी, विन्ध्यस्थ ( व्याडि) I. २६८,१४ १६-१७/२६६, २ २७५ ८. विन्ध्यवासी सांख्याचार्य ( ? ) I. २६६, १ विपाट (श्) (व्यासनदी) I. २१३,२३८ विबुधनन्दी (अभयनन्दी का गुरु ) I. ६६४,२ । विमलमति ( भागवृत्तिकार ) I. ३६७, १५/४०१, ६ ५१४,७। III. १२२,२१। विमल सरस्वती (रूपमालाकार) I. १३६, १२३५८६ ४ II. ११३२६ 1. बिरजानन्द आश्रम (लाहौर) II. २६६, १७ विरजानन्द देवकरण II. १६६, १६ । III. १८०, २ बिरजानन्द सरस्वती ( द्र० 'स्वामी विरजानन्द सरस्वती' शब्द ) विरूपाक्ष (भृगुवंशीय वैहीनरि) I. ३३३,७। विशालाक्ष (शिव) I. ८१ २०८२,१० विश्वकर्मा शास्त्री (प्र० को० व्याख्याता) I. ५६६१४ विश्वनाथ (साहित्यदर्पणकार) I. ६३६,१२ | विश्वनाथ (क्रियाकोशकार का पिता ) II. ८१, हा विश्वनाथ भट्ट II. ३२८, १७ विश्वनाथ मिश्र I ६४९।१३।७०३,१२। . विश्वनाथ शास्त्री एम० ए० II. ४६४, २६ विश्वबन्धु शास्त्री (अथर्व प्रांति० सम्पा० ) I. २२६,१८ । II ३६३, ११४०८, ८४११,१४१४१२, २५४१३२ १. सम्भव है यह भाग १, पृष्ठ ७२१ पर निर्दिष्ट भोज व्याकरणकार विनयसागर उपाध्याय ही हो ।

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