Book Title: Sanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 03
Author(s): Yudhishthir Mimansak
Publisher: Yudhishthir Mimansak

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Page 330
________________ श्रात्म-परिचय १६ १०. ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका - स्वामी दयानन्द सरस्वती कृत ग्रन्थ के सटिप्पण संस्करण का सम्पादन । सन १९६७ ११. ऋग्वेद भाष्यम् – स्वामी दयानन्द कृत ऋग्वेदभाष्य का सम्पादन, सहस्रों टिप्पणियों एवं १०-१२ प्रकार के परिशिष्टों के सहित । भाग १-२-३ प्रकाशित तीनों भाग उत्तर प्रदेश सरकार से पुरस्कृत । सन १६७२-७६ १२. उणादि - कोष – स्वामी दयानन्द सरस्वती विरचित पञ्चपांदी उणादिपाठ की उणादिकोष नाम्नी व्याख्या का सम्पादन 1 सन १६७४ १३. महाभाष्य ( हिन्दी व्याख्या) - पतञ्जलि मुनि विरचित महाभाष्य की हिन्दी व्याख्या | भाग १ - २-३ मुद्रित । द्वितीय तथा तृतीय भाग उत्तरप्रदेश राज्य से पुरस्कृत । सन १९७२-७६ १४. मीमांसा - शाबर भाष्य हिन्दी व्याख्या - जैमिनिमुनि प्रोक्त मीमांसा शास्त्र पर सबसे प्राचीन भाष्य शबर स्वामी का है । इस पर श्रार्षमतविर्माशिनी नाम्नो हिन्दी व्याख्या लिखी जा रही है। अभी तक ४ भाग छपे हैं। इनमें मीमांसा के ५ अध्यायों की व्याख्या है | सन १६७७-८४ १५. ऋषि दयानन्द के पत्र और विज्ञापन - प्रस्तुत तृतीय संस्करण में दो भागों में ऋ० द० के पत्रों और विज्ञापनों का संग्रह है और तृतीय चतुर्थ भाग में ऋ० द० के प्रति अन्य व्यक्तियों द्वारा लिखित पत्रों और विज्ञापनों का संग्रह किया है । द्वितीय और चतुर्थभाग के अन्त में पत्रों से सम्बद्ध अनेक परिशिष्ट जोड़ े गये हैं । सन् १६८१-१६८३ मौलिक शोध-पूर्ण ग्रन्थ १. संस्कृत व्याकरणशास्त्र का इतिहास ( भाग १ ) – इस ग्रन्थ में पाणिनि से प्राचीन तेईस वैयाकरणों का इतिवृत्त, उनमें अनेक श्राचार्यों के उपलब्ध सूत्रों का संकलन, पाणिनि और उसके व्याकरण पर टीका-टिप्पणी लिखनेवाले लगभग १६० श्राचार्यों, तथा पाणिनि से उत्तरवर्त्ती १८ प्रमुख व्याकरण - प्रवक्ताओं, और उनके लगभग १०० व्याख्याताओं का इतिहास लिखा गया है । न केवल राष्ट्रभाषा हिन्दी,

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