Book Title: Sanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 03
Author(s): Yudhishthir Mimansak
Publisher: Yudhishthir Mimansak

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Page 307
________________ संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास स्थाणुः (=शिव) I. ८१,२०। स्थाणुदत्त (पण्डित) I[..१६६।२७। III. १८०,१७१८११२। स्फोट (स्फोटायन' का पिता) I. १८६,२०। II. ४३१,२४। स्फोटायन I. ६८.२७।७१,२०११८६,५०।२८३,१. II. ४३१, १४। III. १०७,२७। स्फौटायन' (पाठान्तर) I. १८६,२०। II. ४३१.२४॥ स्वयंप्रकाश सरस्वती; स्वयंप्रकाशानन्द सरस्वती, (=सच्चि: दानन्द सरस्वती') II. २३२,३।३२१,१६।३२२.६। -- स्वाध्याय मण्डल (पारडी जि० सूरत) 1. ११२,२५॥ स्वामी (क्षीरतरङ्गिणी में उद्धृत) II. १४२,१४। स्वामी दयानन्द सरस्वती I. ३,२५।३४,२३।४०,३०१५४,२३। इत्यादि II. ८.२१।१४,२८।११२,६। इत्यादि । II0. ३२, २७।४०,११६२,१५। इत्यादि। स्वामी पूर्णानन्द सरस्वती (स्व० द० स० दीक्षागुरु) I. ५४५,६। स्वामी पूर्णानन्द सरस्वती (ब्रह्मदत्त जिज्ञासु के गुरु) ५५६,१३। स्वामी ब्रह्ममुनि (प्रियरत्न आर्ष पूर्वनाम) I. १९०,२.७ । III. १२४,२१॥ स्वामी विरजानन्द सरस्वती (ग्वा० द० स० के विद्यागुरु) I. ३८०,५१५५१,२२।५५२,१०६५५६,१७।५८५,७।७०६, २०) II. ११२,६११७६,१३। स्वामी शुद्धवोध तीर्थ I. ५५६,२४। , स्वायम्भुव मनु I. २,१६।५८,५। द्र० 'मनु (स्वायम्भुव)' शब्द । हंसराज शर्मा (राजगुरु) . १६०,१४। हंस विजय गणि I. ७१३,१०। हट्टचन्द्र I. ५२७,१॥ हण्टर (डबल्यू डबल्यू हण्टर) I. २२४.१॥ हरदत्त, हरदत्त (पदमञ्जरीकार) I. ३६२६।४५।२८.७२,२७। १. 'ये त्वौकार (=स्फौटायनं) पठन्ति, ते नडादिषु अश्वादिषु वा स्फोटशब्दस्य पाठं मन्यन्ते ।' हरदत्त पदमञ्जरी ६३१।१२३।। २. ये एक ही व्यक्ति के नाम हैं । द्र० भाग २, पृष्ठ २३२,३-५ :

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